
रामनवमी पर अद्भुत दृश्य, सूर्य की किरणों से हुआ रामलला का अभिषेक, देश-विदेश के श्रद्धालु हुए भावविभोर
समाचार सच, (यूपी) अयोध्या। रामनगरी अयोध्या में रामनवमी पर्व पर आस्था और उल्लास का संगम देखने को मिला। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में आज दोपहर 12 बजे जैसे ही सूर्य की किरणें गर्भगृह में पहुंचीं, रामलला के मस्तक पर उनका अलौकिक सूर्य तिलक हुआ। इस दिव्य दृश्य को देखने के लिए न केवल अयोध्या, बल्कि देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन और प्रत्यक्ष रूप से इसका साक्षात अनुभव किया।


रामनवमी के इस पावन अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में यह दूसरा सूर्य तिलक था, जो रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद एक विशेष खगोलीय संयोग पर आधारित है। सूर्य तिलक के दौरान गर्भगृह की रोशनी और पट कुछ समय के लिए बंद कर दिए गए थे, ताकि सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर सीधी और स्पष्ट पड़ सकें। चार मिनट तक चले इस अलौकिक आयोजन ने भक्तों को भक्ति और रोमांच के अथाह सागर में डुबो दिया।
भक्तों में गूंजा उल्लास
रामलला के इस दिव्य दर्शन को देखकर श्रद्धालु खुशी से झूम उठे। श्रद्धालुओं ने कहा कि उन्होंने अपने आराध्य का ऐसा रूप पहली बार देखा और यह उनके जीवन की सबसे पवित्र स्मृतियों में से एक बन गया। पूरा अयोध्या भक्ति और उल्लास से सराबोर हो उठा।
पूरे शहर में भक्ति का उत्सव
शहर के 5000 से अधिक मंदिरों में राम जन्मोत्सव की प्राकट्य आरती की गई। रामलला के जन्म का उत्सव नगर के हर कोने में धूमधाम से मनाया गया। वहीं, मंदिर प्रशासन और नगर निगम ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए। गर्मी से राहत देने के लिए ड्रोन के माध्यम से सरयू जल का छिड़काव किया गया और जगह-जगह पानी की व्यवस्था की गई। निगम कर्मी कतार में लगे भक्तों को पानी पिलाते नजर आए।
सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद
अयोध्या के जिलाधिकारी राजकरण नय्यर ने बताया कि भारी भीड़ को देखते हुए पूरे इलाके को कई जोन और सेक्टरों में विभाजित कर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। ड्रोन के जरिए लगातार भीड़ नियंत्रण और यातायात की निगरानी की जा रही है, जिससे आयोजन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित बना रहे।
यह आयोजन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का जीवंत उदाहरण बन गया है। रामलला के सूर्य तिलक ने न केवल श्रद्धालुओं के हृदय को छू लिया, बल्कि रामनगरी को एक बार फिर विश्व मानचित्र पर धार्मिक आस्था की राजधानी के रूप में स्थापित कर दिया।




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