समाचार सच, हल्द्वानी (धीरज भट्ट)। उत्तराखंड बनने के बाद यहां की सियासत में एक ऐसा संयोग बना कि इसमें रावत फैक्टर का दबदबा रहा। प्रथम विधानसभा के चुनावों से लेकर आज तक के रिकार्ड पर नजर डालें तो इस बात की तस्दीक हो जाती है। 2002 के पहले विधानसभा चुनावों का आंकड़ा देंखें तों डोईवाला से त्रिवेन्द्र सिंह रावत, धूमाकोट से तेजपाल सिंह रावत, वीरोंखाल से अमृता रावत, लैंसडौन से डा. हरक सिंह रावत, सल्ट से रणजीत सिंह रावत और रामनगर से योगंबर सिंह रावत चुनाव जीते। 2007 में यह आंकड़ा और बढ़ गया। इन चुनावों में गंगोत्री से गोपाल सिंह रावत, यमनोत्री से केदार सिंह रावत, नरेन्द्रनगर से ओम गोपाल रावत, डोईवाला से त्रिवेन्द्र सिंह रावत, धूमाकोट से तेजपाल सिंह रावत, वीरोंखाल से अमृता रावत, लैंसडौन से डा. हरक सिंह रावत, कोटदार से शैलेन्द्र सिंह रावत और सल्ट से रणजीत सिंह चुनाव जीते। वहीं 2012 केदारनाथ से शैलारानी रावत, रूद्रप्रयाग से डा. हरक सिंह रावत, चौबट्टाखाल सेे तीरथ सिंह रावत व लैंसडौन से दिलीप सिंह रावत विधायक बने। 2017 में यमनोत्री से केदार सिंह रावत, गंगोत्री से गोपाल सिंह रावत, केदारनाथ से मनोज रावत, डोईवाला से त्रिवेन्द्र सिंह रावत, श्रीनगर से धन सिंह रावत, चौबट्टाखाल से सतपाल महाराज व लैंसडौन से दिलीप सिंह रावत व कोटद्वार से हरक सिंह रावत विधायक बने।
हरदा व त्रिवेन्द्र बने सीएम
हल्द्वानी। हरीश रावत राज्य में 2014 से राज्य के सीएम रह चुक हैं। वे धारचूला से विधायक चुने गये थे। वहीं वर्तमान सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत पूर्व में राज्य में मंत्री रह चुके हैं। वे 2017 से राज्य के सीएम हैं। इधर रावत मंत्रीमंडल में सतपाल महाराज व धन सिंह रावत दोनों मंत्री हैं। वहीं हरीश रावत अविभाजित उत्तर प्रदेश में भी रावत फैक्टर की तूती जमा चुके हैं। वे 1980 से 1989 तक अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ से लोकसभा और 2009 से 2014 तक हरिद्वार लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। वे उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य और केन्द्र में मंत्री भी रह चुके हैं।
पौड़ी के सांसद भी रावत
हल्द्वानी। वर्तमान में पौड़ी के सांसद तीरथ सिंह रावत हैं। वे पूर्व में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और चौबट्टाखाल से विधायक भी रह चुक हैं। उनकी गिनती भाजपा के तेज-तर्रार नेताओं में होती है। इधर अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट से भाजपा के बची सिंह रावत 2009 तक सांसद भी रहे।
छह बार विधायक बन चुके हैं हरक
हल्द्वानी। उत्तराखंड की सियासत की बात करें और हरक सिंह रावत का नाम न आये तो ये तर्कसंगत नहीं है। वे उत्तरांखंड बनने के बाद तीन बार और राज्य बनने से तीन बार पूर्व में भी उत्तर प्रदेश के दौरान विधायक रह चुके हैं। वे 1991 व 1993 में पौड़ी से विधायक रह चुके हैं। वहीं उत्तराखण्ड बनने के बाद वेे लगातार विधायक बनते आ रहे हैं।
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