उत्तराखण्ड का लाल यमुना जम्मू के कुपवाड़ा में पेट्रोलिंग के दौरान हुए शहीद

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मूल रूप से ओखलकांडा निवासी शहीद का परिवार वर्तमान में हल्द्वानी ब्लाक के अर्जुनपुर में करता है निवास

समाचार सच, हल्द्वानी/नैनीताल। उत्तराखण्ड के हल्द्वानी ब्लाक के अर्जुनपुर (गोरापड़ाव) निवासी 38 वर्षीय युमना प्रसाद पनेरू की बृहस्पतिवार रात कुपवाड़ा में शहीद होने की सूचना सेना से मिली है। भारतीय सेना की छह कुमाऊं रेजीमेंट में सूबेदार पद पर तैनात थे। मूल रूप से यमुना प्रसाद ओखलकांडा ब्लाक के पदमपुर मीडार के निवासी थे। जवान के शहीद होने की खबर मिलते ही यहां घर में मातम पसर गया। शहीद का पार्थिव शरीर शनिवार तक उनके निवास स्थान यावत कालोनी अर्जुनपुर गोरापड़ाव पहुंचेगा।

मिली सैन्य जानकारी के अनुसार गुरूवार को सुबह 7 बजे कुपवाड़ा में बर्फ से ढकी चोटियों पर अपनी टीम को रेस्क्यू कराते हुए यमुना का पैर फिसल गया और वह गहरी खाई में जा गिरे। इस हादसे में यमुना प्रसाद गंभीर रूप से घायल हो गये थे। करीब सायं 5 बजे बेस कैंप से सेना के जवान उनके घर पहुंचे और उनके शहीद होने की सूचना दी। इधर उनके पैतृक गांव में बृहस्पतिवार की शाम यमुना प्रसाद पनेरू के शहीद होने की खबर लगते ही ग्रामीणों में शोक की लहर है।

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शहीद यमुना प्रसाद पनेरू आठ वर्ष पूर्व हल्द्वानी आये थे और यहां गोरापड़ाव में अपने नए मकान में परिवारजनों के साथ रहते थे। वह अपने पीछे बेटे यश (07 साल) और 05 साल की बेटी साक्षी, पत्नी ममता पनेरू, मां महेश्वरी देवी, बड़े भाई चंद्र प्रकाश पनेरू, छोटे भाई भुवन और भाभी सहित भतीजे-भतीजी आदि को छोड़ गए हैं। शहीद के पिता दयाकृष्ण पनेरू का कई वर्ष पहले ही निधन हो चुका है।

जनप्रतिनिधि शोक प्रकट करने पहुंचे निवास
यमुना प्रसाद पनेरू के शहीद होने के खबर मिलते ही भीमताल विधायक राम सिंह कैड़ा, क्षेत्र पंचायत सदस्य गोपाल अधिकारी, ग्राम प्रधान केशव पंत, केडी पनेरू, सुरेश चंद्र पनेरू, खिमेश चन्द्र पनेरू समेत आसपास के ग्रामीणों का उनके आवास पर तांता लग गया और दुःख प्रकट किया।

यमुना ने सेना में अदम्य साहस के साथ देश के लिए किये प्राण न्यौछावर
हल्द्वानी।
सूबेदार यमुना पनेरू ने अपनी 20 साल तक सेना में अदम्य साहस के साथ सेवा दी और 38 वर्ष की आयु में देश के लिये अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। आज उनकी इस शहादत को उत्तराखण्ड ही नहीं पूरा देश नतमस्तक है। उनकी इस शहादत को समाचार सच न्यूज पोर्टल टीम भी सलाम करता है और उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित करता है सूबेदार यमुना पनेरू का बचपन ग्रामसभा पदमपुर मीडार के तोक गालपाधूरा में बीता। आठवीं तक की पढ़ाई उच्च प्राथमिक विद्यालय मीडार से करने के बाद 9वीं और दसवीं की पढ़ाई एसएमएसडी स्कूल कनखल हरिद्वार से हुई। इंटरमीडिएट की परीक्षा हरिराम इंटर कॉलेज से पास करने के बाद डीएवी देहरादून में बीएससी में दाखिला लिया। बीएससी प्रथम वर्ष करने के दौरान का चयन भारतीय सेना के लिए हो गया। इधर शहीद यमुना के छोटे भाई भुवन का कहना है कि शिक्षा ग्रहण करते समय से ही सेना में जाकर देश की सेवा करने का मन था। अपनी लगन व मेहनत के बल पर 2000 में छह कुमाऊं में यमुना भर्ती हुए थे। 2014 में जेसीओ का कमीशन निकालने के बाद हवलदार से सूबेदार पद पर नियुक्त हुए। भुवन पनेरू ने बताया कि 2012 में यमुना पनेरू द्वारा एवरेस्ट फतह किया था साथ ही उन्होंने नंदादेवी शिखर और छोटे कैलाश को भी स्पर्श किया है। उन्होंने दार्जिलिंग व भूटान में रहकर माउंटेनिंग सिखाई है।

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