अनुसंधानों को पाठ्यक्रमों से जोड़े जाने की आवश्यकता

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-केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री निंशक ने कहा: विभाग का प्रयास है कि एनसीईआरटी को राष्ट्रीय महत्त्व की संस्था घोषित किया जाये
-केंद्रीय मंत्री ने जारी किये राष्ट्रीय प्रतिभा खोज छात्रवृत्ति (एनटीएसई) 2019 के नतीजे

समाचार सच, नई दिल्ली (एजेन्सी)। भारत अनुसंधान के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है और अब अनुसंधानों को पाठ्यक्रमों से जोड़े जाने की आवश्यकता है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के 59वें स्थापना दिवस के मौके पर यह बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि हम प्रयास करेंगे कि एनसीईआरटी को राष्ट्रीय महत्त्व की संस्था घोषित किया जाए। इस मौके पर मंत्री ने 34 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले सभागार की नींव भी रखी।
केंद्रीय मंत्री ने इस मौके राष्ट्रीय प्रतिभा खोज छात्रवृत्ति (एनटीएसई) 2019 के नतीजे भी जारी किए। इसके अलावा उन्होंने एलान किया कि जल्द ही एनटीएसई की संख्या को दो हजार से बढ़ाकर तीन हजार किया जाएगा। इसी साल मार्च में एनटीएसई की संख्या एक हजार से बढ़ाकर दो हजार की गई थी।

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श्री निशंक ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था। परिस्थिति और समय को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस नारे आगे बढ़ाते हुए ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान’ कर दिया। वर्तमान में जब देश को अनुसंधानों की बहुत आवश्यकता है तो ऐसे में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नारे को ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान’ कर दिया है। किसी भी देश को आगे बढ़ने में अनुसंधान बहुत जरूरी हैं और अब समय आ गया है कि अनुसंधानों को पाठ्यक्रमों से जोड़ा जाए ताकि स्कूलों में उसके लिए माहौल बन पाए।

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मंत्री ने कहा कि एनसीईआरटी और उसकी घटक इकाइयां पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों के जरिये राष्ट्र की नींव को मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। एनसीईआरटी की ओर से विकसित पाठ्यक्रम न सिर्फ विशिष्ट होता है, बल्कि दुनियाभर में इसके पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों की मान्यता है और उन्हें सराहा जाता है। इस मौके पर एनसीईआरटी के निदेशक डॉक्टर ऋषिकेश सेनापति, सचिव मेजर हर्ष कुमार सहित अन्य अधिकारी, शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद थे।

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