पंचायत चुनाव में देरी का कारण बना आरक्षण, निर्वाचन आयोग ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की

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समाचार सच, देहरादून। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की तिथियों में देरी की मुख्य वजह आरक्षण व्यवस्था की अनिश्चितता बन रही है। राज्य निर्वाचन आयोग ने अब सरकार से स्पष्ट आरक्षण व्यवस्था तय करने की मांग की है। जबकि सरकार पहले ही पंचायत चुनाव के लिए तैयार होने की बात कह चुकी थी।

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पंचायतीराज सचिव चंद्रेश यादव ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग जब चाहे चुनाव की तारीख तय कर सकता है, लेकिन आयोग ने स्पष्ट किया कि आरक्षण व्यवस्था के बिना चुनाव संपन्न कराना संभव नहीं है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, और आयोग ने सात अक्टूबर से वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण का कार्य भी शुरू कर दिया है, जो 13 जनवरी 2025 को अंतिम रूप से प्रकाशित की जाएगी।

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उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत 7505 ग्राम प्रधान, 55635 ग्राम पंचायत सदस्य, 2976 क्षेत्र पंचायत सदस्य, 358 जिला पंचायत सदस्य, 89 प्रमुख क्षेत्र पंचायत, और 12 जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए चुनाव होने हैं।

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नवंबर में पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के कारण, सरकार प्रशासकों की नियुक्ति पर विचार कर रही है। लेकिन निर्वाचन आयोग ने सरकार पर स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव में देरी का कारण आरक्षण व्यवस्था पर सरकार का असमंजस है।

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