समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। नवरात्रि में अखंड ज्योति (अखंड दीपक) जलाना हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। यह मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और घर में सुख, शांति और समृद्धि लाने का एक प्रभावी साधन है। चूंकि 21 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या और सूर्य ग्रहण का संयोग है, इसके अगले दिन (22 सितंबर) से शुरू होने वाली नवरात्रि विशेष रूप से शक्तिशाली होगी। अखंड ज्योति जलाने से पितृ दोष और ग्रहण के प्रभाव से मुक्ति मिलेगी, और मां दुर्गा की कृपा से जीवन में सकारात्मक बदलाव आएंगे। यह समय अखंड ज्योति जलाने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। नीचे इसके फायदे और नियम विस्तार से दिए गए हैं।
अखंड ज्योति जलाने के फायदे
माता दुर्गा की कृपा प्राप्ति
अखंड ज्योति मां दुर्गा की निरंतर उपस्थिति का प्रतीक है। इसे जलाने से मां की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाती है। यह भक्तों की भक्ति को मां तक पहुंचाने का माध्यम माना जाता है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश
दीपक की ज्योति अंधकार (अज्ञानता) और नकारात्मक शक्तियों को दूर करती है। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। वास्तु दोष और पितृ दोष को कम करने में भी सहायक है, विशेषकर सर्वपितृ अमावस्या (21 सितंबर 2025) के ठीक बाद शुरू होने वाली नवरात्रि में।
सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य
अखंड ज्योति जलाने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। यह परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य और मानसिक शांति को बढ़ावा देता है। व्यापार में उन्नति और आर्थिक स्थिरता के लिए भी लाभकारी है।
आध्यात्मिक उन्नति
नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाने से भक्त का मन एकाग्र होता है, जिससे ध्यान, मंत्र जाप और साधना में सफलता मिलती है। यह कुंडलिनी जागरण और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाने में सहायक है।
पापों का नाश और पुण्य प्राप्ति
शास्त्रों के अनुसार, अखंड ज्योति जलाना पुण्य कार्य है, जो पूर्वजन्मों के पापों को कम करता है और मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करता है।
अखंड ज्योति जलाने के नियम
अखंड ज्योति जलाना एक पवित्र कर्म है, जिसमें कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य है ताकि इसका पूर्ण लाभ मिले और मां दुर्गा प्रसन्न हों।
तैयारी के नियम
बड़ा दीपक
इसके लिए सबसे पहले मिट्टी या पीतल का एक बड़ा दीपक खरीदे जो कहीं से भी खंडित न हो, मजबूत हो।
सही स्थान
दीपक को पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में स्थापित करें। यह वास्तु के अनुसार शुभ है।
स्वच्छता
पूजा स्थल को गंगाजल और गोमूत्र से शुद्ध करें। घर में साफ-सफाई रखें।
दीपक का चयन
मिट्टी, पीतल या चांदी का दीपक शुभ माना जाता है। दीपक बड़ा और स्थिर होना चाहिए ताकि नौ दिन तक जल सके।
सामग्री
शुद्ध देसी घी या तिल का तेल, मोटी बत्ती (रुई की), माचिस, कपूर, और मां दुर्गा की मूर्ति/चित्र।
अखंड ज्योति प्रज्वलन के नियम
शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के प्रथम दिन (22 सितंबर 2025) को घटस्थापना के समय दीपक प्रज्वलित करें। पंचांग के अनुसार, सुबह 6.14 से 7.22 तक का समय शुभ रहेगा (स्थानीय पंचांग से पुष्टि करें)।
संकल्प
दीपक जलाने से पहले संकल्प लें। उदाहरणरू ‘मैं मां दुर्गा की कृपा और परिवार की सुख-शांति के लिए नवरात्रि के नौ दिन अखंड ज्योति जलाने का संकल्प लेता/लेती हूं।
बत्ती और तेल/घी
दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी या तेल डालें। बत्ती को इस तरह रखें कि वह लंबे समय तक जलती रहे। बत्ती का मुख पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए।
प्रज्वलन
मां दुर्गा का ध्यान करते हुए ‘ऊँ ज्योतिरूपायै नमः’ या ‘ऊँ ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र जपते हुए दीपक जलाएं।
मंत्र- ऊँ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।
अखंड ज्योति की देखभाल
निरंतर जलना
दीपक को नौ दिन तक (या कम से कम प्रथम, पंचमी, अष्टमी, नवमी जैसे प्रमुख दिनों में) बुझने न दें। घी/तेल समय-समय पर डालें।
सुरक्षा
दीपक को ऐसी जगह रखें जहां हवा, पर्दे या बच्चों से बुझने का खतरा न हो। धातु का ढक्कन या कांच का कवर उपयोग करें।
प्रतिदिन पूजा
सुबह-शाम दीपक के पास मां दुर्गा की आरती करें। ‘दुर्गा सप्तशती’ के मंत्र या ‘ऊँ जयंती मंगला काली’ का पाठ करें।
निगरानी – परिवार का कोई सदस्य हमेशा दीपक की निगरानी करे। यदि दीपक बुझ जाए, तो मां से क्षमा मांगकर पुनः प्रज्वलित करें।
अन्य नियम
सात्विकता- नवरात्रि में सात्विक भोजन करें। मांस, मछली, शराब, लहसुन-प्याज से बचें।
व्रत और भक्ति- व्रत रखने वाले भक्त दीपक के पास मंत्र जाप (जैसे दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा) करें। इससे लाभ कई गुना बढ़ता है।
दान-पुण्य- नवरात्रि के दौरान गरीबों को भोजन, वस्त्र या दक्षिणा दान करें। यह अखंड ज्योति के प्रभाव को बढ़ाता है।
महिलाओं के लिए- मासिक धर्म के दौरान दीपक को स्पर्श न करें। परिवार का कोई अन्य सदस्य इसकी देखभाल करे।
नवरात्रि समापन
- नवमी या दशमी को कन्या पूजन के बाद अखंड ज्योति का समापन करें।
- दीपक को स्वयं बुझाएं नहीं; इसे प्राकृतिक रूप से बुझने दें या अंतिम दिन कपूर डालकर समाप्त करें।
- दीपक का अवशेष (घी/तेल) मंदिर में चढ़ाएं या पवित्र नदी में विसर्जित करें।
नवरात्रि अखंड दीपक ज्योतिष सावधानियां
अग्नि सुरक्षा- दीपक को ज्वलनशील सामग्री (पर्दे, कपड़े) से दूर रखें। रात में निगरानी रखें।
शुद्धता- दीपक जलाने से पहले स्नान करें। पूजा स्थल पर जूते-चप्पल न लें।
गलती होने पर- यदि दीपक बुझ जाए, तो मां दुर्गा से क्षमा मांगें और पुनः संकल्प लेकर जलाएं।
वर्जित कार्य – तामसिक व्यवहार (क्रोध, झूठ, नशा) से बचें, क्योंकि यह अखंड ज्योति के पुण्य को कम कर सकता है।
नवरात्रि विशेष टिप्स
मंत्र जाप- अखंड ज्योति के पास ष्दुर्गा सप्तशतीष् का पाठ या ‘ऊँ हृीं दुं दुर्गायै नमः’ का 108 बार जाप करें।
कपूर का उपयोग- प्रतिदिन सुबह-शाम दीपक के पास कपूर जलाएं। यह नकारात्मकता दूर करता है।
विशिष्ट लाभ के लिए- यदि स्वास्थ्य, धन या संतान सुख की कामना हो, तो विशिष्ट मंत्र का जाप करें।

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