समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना के साथ जौ बोए जाते हैं। माना जाता है कि मां दुर्गा की पूजा के दौरान ये अंकुरित होकर आने वाले समय के शुभ-अशुभ संकेत बताते हैं और साधना की सफलता का भी आभास कराते हैं।
- अगर जौ धुएं जैसे रंग में अंकुरित होते हैं, तो इसे परिवार में कलह और मतभेद का संकेत माना जाता है। इस शकुन से घर-परिवार में मनमुटाव बढ़ने और रिश्तों में तनाव की स्थिति बन सकती है।
- जौ के काले अंकुर शुभ नहीं माने जाते। यह संकेत देते हैं कि पूरे वर्ष निर्धनता, आर्थिक संकट और अभाव का समय रहने वाला है। ऐसे समय में परिवार को धैर्य और सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए।
- अगर जौ बिल्कुल नहीं उगते, तो इसे बड़ा अशुभ माना जाता है। यह कार्यों में लगातार बाधाएं आने और परिवार में किसी आकस्मिक संकट या मृत्यु की संभावना का संकेत माना जाता है।
- यदि जौ के अंकुर लाल या रक्त वर्ण के दिखाई दें तो यह रोग, व्याधि और शत्रु भय का संकेत माना जाता है। ऐसे समय में साधक को मां दुर्गा से विशेष आराधना कर सुरक्षा और स्वास्थ्य की कामना करनी चाहिए।
- हरे अंकुर सबसे शुभ माने जाते हैं। यह धन अन्न, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक हैं। हरे अंकुर का उगना मां दुर्गा की कृपा का स्पष्ट संकेत है और यह बताता है कि साधना पूर्ण रूप से सफल हुई है।
- सफेद अंकुरित जौ अत्यंत शुभकारी माने जाते हैं। यह साधक की अभिष्ट सिद्धि, आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वर की विशेष कृपा का संकेत देते हैं। सफेद अंकुर आने वाले वर्ष में शांति, सुख और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।
- अगर अंकुर आधे हरे और आधे पीले होते हैं तो यह मिश्रित संकेत है। पहले कार्यों में सफलता मिलेगी लेकिन बाद में हानि की स्थिति बन सकती है। इसलिए ऐसे समय में सावधानी और धैर्यपूर्वक निर्णय लेना जरूरी है।

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