समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। हिंदू धर्म में हिंदी माह के सभी माह विशेष होते हैं। प्रत्येक माह का अपना एक धार्मिक महत्व है। इसी तरह आषाढ़ के बाद पड़ने वाला सावन भी एक खास माह होता है। यह बारिश लाता है और मौसम सुहावना कर देता है। सावन का महीना धार्मिक दृष्टिकोण से भी काफी विेशेष होता है क्योंकि मान्यतानुसार, इस माह में शंकर भगवान पृथ्वी पर निवास करते हैं। धार्मिक मान्यतानुसार जो भक्तजन इस माह में भोलेनाथ को बिल्वपत्र चढ़ाता है उस पर भगवान शंकर की विशेष कृपा होती है। ऐसे लोग तन, मन और धन से संपन्न हो जाते हैं। उनकी आयु में वृद्धि होती है, उनके सभी शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए आज हम आपको बताते हैं कि सावन माह में शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाने से क्या क्या लाभ होते हैं।
होती है शिवपद की प्राप्ति
शिवपुराण के अनुसार, तीनों लोकों में जितने पुण्य-तीर्थ प्रसिद्ध हैं, वे सभी बिल्व के मूलभाग में स्थिति हैं। कहते हैं जो जन बिल्व के मूलभाग में लिंग स्वरूप आशुतोष भगवान की पूजा करता है, वह निश्चय ही शिवपद को प्राप्त होता है।
मिलती है पापों से मुक्ति
जो मनुष्य गंध,पुष्प आदि से बिल्व के मूलभाग का पूजन करता है, वह शिवलोक को पाता है और इस लोक में भी उसकी सुख-संतति बढ़ती है। बिल्व की जड़े के पास दीपक जलाकर रखने से तत्व ज्ञान से समपन्न हो भगवान शिव में ही मिल जाता है, जो मनुष्य बिल्व की शाखा को पकड़कर हाथ से उसके नए-नए पल्लव उतारता और उनसे उस बिल्व की पूजा करता है, वह सब पापों से मुक्त हो जाता है।
दरिद्रता रहती है दूर
बिल्व की जड़ को निकट रखकर शिव भगवान के भक्त को भोजन कराता है, उसे कोटिगुना पुण्य प्राप्त होता है। जो बिल्व की जड़ के पास शिव भक्त को खीर और घृत से मुक्त भोजन कराता है वह कभी दरिद्र नहीं होता है।
इन तिथियों पर न तोड़ें
चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेलपत्र न तोड़ें। बेलपत्र भगवान शंकर को बहुत प्रिय है, इसलिए इन तिथियों या वार से पहले तोड़ा गया पत्र चढ़ाना चाहिए।
कर सकते हैं पुन: इस्तेमाल
शास्त्रों में कहा गया है कि अगर नया बेलपत्र न मिल सके, तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षाल्यापि पुनः पुनः।
शंकरायार्पणीयानि न नवानि यदि क्वचित्।। (स्कंदपुराण)
इन बातों का भी रखें ध्यान
टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए, कभी भी पूरी टहनी नहीं तोड़ना चाहिए। पत्र इतनी सावधानी से तोड़ना चाहिए कि वृक्ष को कोई नुकसान न पहुंचे। बेलपत्र तोड़ने से पहले और बाद में वृक्ष को मन ही मन प्रणाम कर लेना चाहिए।


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