समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च 2024 शुक्रवार के दिन मनाया जाने वाला है। इस दिन देशभर के शिव मंदिरों में शिवलिंग पूजा के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ रहेगी। यह कोई शिवजी की पूजा करना चाहेगा या पूजा नहीं तो कम से कम जलार्पण कर बिल्वपत्र अर्पित करना चाहेगा। ऐसे में यह भी जानना जरूरी है कि शिवलिंग का जलाभिषेक करने का क्या नियम है।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए तांबे, चांदी या पीतल के पात्र का उपयोग करें स्टील का नहीं।
- शिवलिंग पर चल अर्पित करने समय आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए पूर्व दिशा की ओर नहीं। पूर्व दिशा शिव का मुख्य द्वार माना जाता है।
- शिवलिंग पर धीरे धीरे जल अर्पित करना चाहिए क्योंकि शिवजी को धरांजली पसंद है। एक छोटी धारा के रूप में जल चढ़ाया जाना चाहिए।
- शिवजी को दूध अर्पित करने के लिए तांबे के बर्तन का उपयोग नहीं पीतल के बर्तन का उपयोग करना चाहिए।
- हमेशा बैठकर ही शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए। खड़े होकर नहीं।
- शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय श्ऊं नमरू शिवायश् पंचाक्षरी मंत्र का जाप करते रहें।
- शिवलिंग पर जल हमेशा दाएं हाथ से ही चढ़ाएं और बाएं हाथ को दाएं हाथ से स्पर्श करें।
- शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल न चढ़ाएं।
- शिवलिंग पर जल कभी भी एक हाथ से अर्पित न करें।
- जल चढ़ाने के बाद शिवलिंग की बिल्वपत्र रखें। बिल्वपत्र रखने के बाद ही शिवलिंग की अधूरी परिक्रमा करें।
शिवलिंग पर जल कितने बजे तक चढ़ाना चाहिए?
- शिवलिंग पर जल प्रातः 5 से 11 बजे के बीच में जल चढ़ाना विशेष रूप से फलदायी होगा।
- प्रदोष काल में भी जल चढ़ा सकते हैं।
- अभिजित मुहूर्त में भी जल अर्पित कर सकते हैं।
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