समाचार सच, देहरादून डेस्क। उत्तराखंड सरकार युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। राज्य में पहली बार “कौशल जनगणना” कराई जाएगी, जिसके माध्यम से युवाओं की रुचि, शिक्षा और कौशल का व्यापक डेटा जुटाया जाएगा।
इस पहल का उद्देश्य युवाओं को उनके हुनर और रुचि के अनुरूप रोजगार उपलब्ध कराना और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को अधिक प्रभावी बनाना है। इसके तहत यह भी आकलन किया जाएगा कि उद्योगों को किस प्रकार के प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता है, ताकि कौशल और रोजगार के बीच की दूरी को पाटा जा सके। कौशल जनगणना के नोडल अधिकारी पंकज कुमार ने बताया कि शासन ने परियोजना को मंजूरी दे दी है। वर्तमान में डीपीआर तैयार करने के लिए कंसल्टेंसी का चयन किया जा रहा है, जिसके बाद जनगणना का ठोस रोडमैप तैयार किया जाएगा।
जनगणना के दौरान युवाओं से उनकी शिक्षा, अनुभव और कौशल से जुड़ी जानकारी ली जाएगी। साथ ही, उद्योगों की आवश्यकताओं का डेटा भी संकलित किया जाएगा। इसके आधार पर युवाओं को एक “कौशल आईडी” जारी की जाएगी, जो उनके हुनर का प्रमाण होगी।
उत्तराखंड इस तरह की पहल अपनाने वाला देश का दूसरा राज्य होगा। इससे पहले आंध्र प्रदेश के मंगलगिरी विधानसभा क्षेत्र में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था।
जनगणना दो चरणों में की जाएगीकृपहले चरण में उद्योगों की जरूरतों का आकलन किया जाएगा और दूसरे चरण में 15 से 59 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों की शिक्षा व कौशल संबंधी जानकारी जुटाई जाएगी। इस अभिनव पहल से न केवल रोजगार सृजन को गति मिलेगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्राप्त होगी।

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