स्मार्ट मीटर विरोधः अब पुलिस पहरे में घर-घर पहुंचेगी मीटर लगाने वाली टीम, यूपीसीएल ने SSP को लिखा पत्र

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समाचार सच, हल्द्वानी। उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर जारी विरोध के बीच अब यूपीसीएल ने बड़ा कदम उठाया है। हल्द्वानी में स्मार्ट मीटर लगाने का काम अब पुलिस सुरक्षा में किए जाने की तैयारी है। इसके लिए यूपीसीएल की ओर से एसएसपी नैनीताल को पत्र लिखकर पुलिस सहायता की मांग की गई है।

दरअसल, स्मार्ट मीटर को लेकर उपभोक्ताओं के बीच फैले संशय, डर और भ्रम को दूर करने में यूपीसीएल और अदाणी एनर्जी सोल्यूशन अब तक सफल नहीं हो सके हैं। यही वजह है कि हल्द्वानी के शहरी और ग्रामीण इलाकों में जब भी स्मार्ट मीटर लगाने के लिए टीमें पहुंच रही हैं, उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

अब योजना यह बनाई गई है कि अदाणी एनर्जी सोल्यूशन और यूपीसीएल की टीम जब उपभोक्ताओं के घर स्मार्ट मीटर लगाने पहुंचेगी, तो उनके साथ पुलिस भी मौजूद रहेगी। ऐसे में यदि कोई उपभोक्ता विरोध करता है या विवाद की स्थिति बनती है, तो पुलिस व्यवस्था संभालेगी।

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यूपीसीएल ने जिले में कुल 1.88 लाख बिजली उपभोक्ताओं के घर स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य तय किया है, लेकिन अब तक यह लक्ष्य 50 प्रतिशत भी पूरा नहीं हो पाया है। काम की धीमी रफ्तार और बढ़ते विरोध को देखते हुए पुलिस की मौजूदगी में मीटर लगाने का प्लान तैयार किया गया है।

हल्द्वानी शहरी क्षेत्र के अधिशासी अभियंता प्रदीप कुमार ने इस संबंध में एसएसपी नैनीताल को पत्र भेजकर पुलिस सहायता की औपचारिक मांग की है। बताया जा रहा है कि हल्द्वानी के बाद पूरे कुमाऊं मंडल में भी इसी तर्ज पर पुलिस की मौजूदगी में स्मार्ट मीटर लगाए जा सकते हैं।

वहीं, स्मार्ट मीटर का विरोध कर रहे उपभोक्ताओं का आरोप है कि यूपीसीएल और अदाणी एनर्जी सोल्यूशन के कर्मचारी उनकी सहमति के बिना जबरन स्मार्ट मीटर लगा रहे हैं, जो इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का उल्लंघन है। उपभोक्ताओं का सवाल है कि अगर पुराने मीटर खराब थे तो वर्षों तक उनसे बिल क्यों वसूला गया और अगर सही थे तो उन्हें बदलने की जरूरत क्यों पड़ी।

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कई उपभोक्ताओं का दावा है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद उनके बिजली बिल अचानक बढ़ गए हैं। खासकर प्रीपेड स्मार्ट मीटर को लेकर नाराजगी ज्यादा है, क्योंकि रिचार्ज खत्म होते ही बिजली कट जाती है, जिससे गरीब परिवारों और छोटे कारोबारियों को परेशानी उठानी पड़ रही है।

उपभोक्ताओं और विपक्षी दलों का यह भी आरोप है कि लोगों को पोस्टपेड और प्रीपेड मीटर चुनने का विकल्प नहीं दिया जा रहा, बल्कि जबरन प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं। वहीं, उपभोक्ता संगठनों और विपक्ष का आरोप है कि स्मार्ट मीटर लगाने की पूरी प्रक्रिया में बड़े घोटाले और जनता से लूट की साजिश छिपी है।

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