महिलाओं की प्रस्तुति ने भावनात्मक दृश्यों को जीवंत कर दिया -कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत ने की सराहना

समाचार सच, हल्द्वानी। पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच, हीरानगर हल्द्वानी में पुनर्नवा महिला समिति द्वारा आयोजित महिलाओं की रामलीला में शुक्रवार को श्रीराम वनवास लीला का भावनात्मक मंचन किया गया। चौथे दिन के इस मंचन ने दर्शकों को आध्यात्मिकता और संवेदना के सागर में डुबो दिया। कलाकारों की भाव-भंगिमा, संवादों की तीव्रता और संगीत-प्रकाश के अद्भुत संयोजन ने पूरे वातावरण को भक्ति और भावुकता से भर दिया।



रामलीला का शुभारंभ श्रीराम स्तुति के साथ हुआ, जिसने मंचन की शुरुआत को एक भक्तिमय रंग दिया। इसके बाद राजा दशरथ द्वारा श्रीराम के राजतिलक की घोषणा, मंथरा द्वारा कैकई को बहकाना, कैकई द्वारा दो वर मांगना- भरत को राजगद्दी और राम को 14 वर्षों का वनवास- इन सभी प्रसंगों को इतनी मार्मिकता से प्रस्तुत किया गया कि दर्शक भाव-विह्वल हो उठे।
जब श्रीराम अपने पिता के वचनों की मर्यादा निभाने हेतु वन जाने को तैयार होते हैं और सीता-लक्ष्मण उनके साथ जाने की जिद करते हैं, तो पूरे पंडाल में एक सन्नाटा सा छा जाता है। माताओं से आज्ञा लेकर जब तीनों वन प्रस्थान करते हैं, तो मंच ही नहीं, दर्शकों की आंखें भी नम हो जाती हैं।
प्रकाश, छाया, भाव और संवादों का ऐसा समन्वय देखने को मिला जो आमतौर पर पेशेवर मंचनों में ही नजर आता है। महिला कलाकारों ने अपने अभिनय कौशल से यह सिद्ध किया कि भावनाओं की अभिव्यक्ति में वे किसी से कम नहीं हैं।

आज की लीला में निभाई गई भूमिकाएं इस प्रकार रहींः
आज के पात्र-राम, मानसी लक्ष्मण, लक्षिता सीता, सौम्या, दशरथ-मीना राणा केकई-हनी तिवारी, सुमित्रा- ज्योति, कौशल्या-हेमा बिष्ट, सुमंत-हेमा हरबोला मंथरा-रितु कांडपाल, बंदीजन-अदिति, और कंचन आदि कलाकार शामिल रहें।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत ने कहा कि महिलाओं द्वारा रामलीला जैसे धार्मिक मंचन को जिस समर्पण और भाव से प्रस्तुत किया जा रहा है, वह अनुकरणीय है। यह सांस्कृतिक चेतना को जीवित रखने का प्रभावी माध्यम बन गया है।




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