शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट, इस वर्ष पीएम मोदी सहित साढ़े 17 लाख श्रद्धालुओं ने किये दर्शन

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समाचार सच, देहरादून/बद्रीनाथ। शनिवार को 3 बजकर 35 मिनट पर विधि-विधान से शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट बंद कर दिए गये हैं। सेना के मधुर बैंड की धुनों के बीच श्रद्धालुओं ने दर्शन भी किए। इस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। आपको बता दें कि इस वर्ष पीएम मोदी सहित साढ़े 17 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किये हैं।

इस मौके पर प्रातःकाल मंदिर को सुंदर तरीके से रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया था। कपाट बंद होने से पहले हजारों श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुंचे हुए थे। कपाट बंद होने से पहले ही भगवान बदरीविशाल को ऊनी घृत कंबल ओढ़ाया गया। यह ऊनी घृत कंबल माना गांव की महिला मंगल दल की महिलाओं ने तैयार किया है, जिसे घी में भिगोकर तैयार किया गया था। रावल यानी मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी स्त्री का वेश धारण कर माता लक्ष्मी की प्रतिमा को बदरीनाथ धाम के गर्भ गृह में प्रतिष्ठापित किया और उद्धव और कुबेर जी की प्रतिमा को डोली बामणी गांव में पहुंचेगी जबकि शकंराचार्य जी की गद्दी रावल निवास में रात्रि विश्राम के लिये रखा गया है। कल यानि रविवार की प्रातःकाल पावन गद्दी और उद्धव-कुबेर जी की प्रतिमा पांडुकेश्वर के लिए रवाना होगी। 21 नवम्बर को शंकराचार्य जी की गद्दी जोशीमठ के नरसिंह मंदिर पहुंचेगी। और शीतकाल तक यहीं रहेगी। आपको बताते चले कि बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही उत्तराखंड में स्थित गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम की यात्रा भी आज संपन्न हो गयी।

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इधर इस वर्ष भगवान बदरी विशाल के दर्शन के लिए कई हस्तियां पहुंची जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे बड़ा नाम रहे। उन्होंने अपनी उत्तराखंड यात्रा के दौरान एक रात बदरीनाथ में ही गुजारी। प्रधानमंत्री ने सीमा पर स्थित भारत के पहले और अंतिम गांव माणा से कई विकास कार्यों का भी ऐलान किया। सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब के लिए गोविंदघाट से रोपवे की घोषणा की, साथ ही केदारनाथ के लिए भी रोपवे का ऐलान हुआ।

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गौरतलब है कि शीतकाल में दिसंबर महीने से लेकर मई महीने तक बदरीनाथ धाम बर्फ की सफेद चादर में लिपटा रहता है। दिसंबर से फरवरी तक धाम से हनुमान चट्टी तक तकरीबन 10 किलोमीटर तक बर्फ जम जाती है। इस दौरान बदरीनाथ धाम में पुलिस के कुछ जवानों के साथ ही मंदिर समिति के दो कर्मचारी तैनात रहते हैं। चीन सीमा से जुड़ा इलाका होने के कारण माणा गांव में आइटीबीपी के जवान तैनात रहते हैं। कपाट बंद होने पर बामणी और माणा गांव के लोग और अन्य व्यवसाय बदरीनाथ धाम छोड़ कर निचले हिस्सों में चले जाते हैं। सेना के जवानों को छोड़कर किसी भी आम व्यक्ति को हनुमान चट्टी से आगे जाने की अनुमति नहीं होती।

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