-कथा तथा सरल विधि से सीखा शिविरार्थियों ने संस्कृत संभाषण
-संस्कृत भाषा में अपार साहित्य व ज्ञान का भण्डार: वन्दना रोहेला
समाचार सच, हल्द्वानी/रूड़की। संस्कृत भाषा रुड़की द्वारा आयोजित 20 दिवसीय ऑनलाइन संस्कृत सम्भाषण अभ्यास के द्वितीय चरण का समापन विगत दिन दिवस गूगल मीट के माध्यम से किया गया। जिसमें 110 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कर भाग लिया था।



उक्त जानकारी देते हुए संस्कृत भारती उत्तरांचल की प्रांत अध्यक्षा श्रीमती जानकी त्रिपाठी ने एक प्रेस बयान में बताया कि शिविर में कथा तथा सरल विधि से संस्कृत संभाषण सिखाया गया। उन्होंने बताया कि शिविर का शुभारंभ कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार अंकित गर्ग, कार्यक्रम संयोजक संस्कृत भारती उत्तरांचल के हरिद्वार जिला सदस्य नवल किशोर पंत और हरिद्वार जनपद शिक्षण प्रमुख विष्णु दत्त गौड़ ने संयुक्त रूप से सरस्वती माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया था। कार्यक्रम सह संयोजिका सुश्री वैशाली ने सरस्वती वंदना संस्कृत गीत सुश्री पूजा व सुश्री दर्शना ने तथा सुश्री आरती ने ध्येयमंत्र तथा श्रीमती सुवर्णा ने अनुभव कथन किया। जिसे खूब सराहा गया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि संस्कृत विभाग जेवी जैन कॉलेज सहारनपुर उत्तर प्रदेश की विभागाध्यक्षा श्रीमती वंदना रोहेला ने संस्कृत संभाषण के महत्व और उपयोगिता के विषय में बताते हुए कहा कि संस्कृत भाषा में अपार साहित्य वह ज्ञान का भंडार है, बस इसका महत्व समझ कर इसे अपनाने की आवश्यकता है साथ ही उन्होंने संस्कृत भारती द्वारा किए जाने वाले कार्यक्रमों की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
विशिष्ट अतिथि श्री सनातन धर्म प्रकाश चंद कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय रुड़की उत्तराखंड के अंग्रेजी विभाग डॉ भारती शर्मा ने संस्कृत में वर्तमान और भविष्य के संदर्भ में संभावनाओं के विषय में विस्तृत रूप से प्रतिभागियों को समझाया।
सारस्वतातिथि सिद्धांत ज्योतिष विभाग महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन मध्य प्रदेश सहायक अध्यापक के डॉक्टर उपेंद्र भार्गव ने संस्कृत संभाषण आवश्यक क्यों विषय पर वितरण देते हुए बताएं कि संस्कृत भाषा का गणित शास्त्र में अत्यधिक योगदान है राशियों नक्षत्र व ग्रहों आदि की गणना का विस्तृत उल्लेख संस्कृत भाषा में ही है।
कार्यक्रम अतिथि आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज पुणे महाराष्ट्र के प्रोफेसर विनीता विजय तेंदुलकर ने दैनिक व्यवहार में संस्कृत संभाषण की उपयोगिता के संदर्भ में उद्बोधन किया।
संस्कृत भारती उत्तरांचल के प्रांत प्रचार प्रमुख संस्कृत शिक्षा निदेशालय उत्तराखंड के सहायक निदेशक डॉक्टर संजीव प्रसाद ध्यानी ने संस्कृत भारतीय द्वारा संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु किए जाने वाले कार्यों की विस्तृत जानकारी सभी प्रतिभागियों को दिए।
संस्कृत भारती उत्तरांचल की प्रांत अध्यक्षा श्रीमती जानकी त्रिपाठी ने कार्यक्रम में उपस्थित रहकर स्नेह आशीष प्रदान किया।
कार्यक्रम अध्यक्ष आध्यात्मिक एवं वरिष्ठ पत्रकार अंकित गर्ग ने प्राचीन ज्ञान के अपार भंडार का ज्ञान अर्जन पर नई तकनीकी के साथ जोड़कर वर्तमान समाज के उपयोग हेतु अपनाने पर जोर दिया।
कार्यक्रम का संचालन आचार्य विष्णुदत्त गौड़ व सुश्री वैशाली कार्यक्रम संयोजिका ने सफलतापूर्वक किया। शिविर में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में डॉक्टर शारदा कुमारी पाठक, सहारनपुर से डॉक्टर अंकिता कंबोज, प्रोफ़ेसर विशाखा पंडित, कुमारी आयुषी, रश्मि बडोली, रुबीना, बरेली के फरीदापुर से भार्गव भारद्वाज योगीराज, महाराष्ट्र से योगेश गुंडे संपा, संपा दादा, मीनल गानों, को मध्य प्रदेश के उज्जैन से कुमारी दर्शना, कुमारी पूजा, तथा उत्तराखंड के हल्द्वानी से श्रीमती आरती पंत, जतिन जोशी, हरिद्वार से डॉक्टर शिप्रा व रुड़की से पायल आदि ने भाग लिया।


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