समाचार सच, हल्द्वानी। आज ही के दिन मां भारती की रक्षा करते हुए सिपाही मोहन सिंह और सिपाही दीपक सिंह कैड़ा शहीद हो गए थे। समाचार सच परिवार शहीद सिपाही मोहन सिंह और सिपाही दीपक सिंह कैड़ा की शहादत को सलाम करता है और उनको नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करता है।


मेजर बी एस रौतेला के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सिपाही मोहन सिंह का जन्म बागेश्वर जनपद के ग्राम कर्मी में दिनांक 10 फरवरी 1970 को हुआ। रानीखेत से शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह कुमाऊँ रेजीमेंट में 31 दिसंबर 1990 को भर्ती हो गए। बेसिक प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें नागा रेजीमेंट में स्थानांतरित कर दिया गया। 1999 में जब कारगिल युद्ध छिड़ा तो उनकी पलटन को टाइगर हिल पर कब्जा करने की चुनौती दी गई। इनकी पलटन जब उस ओर बढ़ रही थी तो दुश्मन के तोपखाने की बमबारी में भारत मां का यह वीर सपूत शहीद हो गया। उन्हें मरणोपरांत सेना मैडल से सम्मानित किया गया। इनकी वीर नारी श्रीमती उमा देवी बताती हैं कि इन्हें सूचना 7 दिन के बाद मिली। उस समय उनकी बड़ी बेटी 6 वर्ष की, छोटी बेटी 4 वर्ष की और बेटा मात्र 16 महीने का था। पति की शहादत के बाद जीवन एकदम वीरान हो गया। लेकिन समय के साथ घाव भर गए और अब बच्चे बड़े हो गए हैं। बेटा तो कहता है कि केवल पिता शब्द का ही एहसास है लेकिन पिता का साया कैसा होता है वह शायद नसीब में नहीं था। संघर्षमय जीवन व्यतीत करते हुए उमा देवी ने अब अपना परिवार संभाल लिया है।
सिपाही दीपक सिंह कैड़ा का जन्म 1 नवंबर 1986 को सोमेश्वर के ग्राम झुपुलचौरा में हुआ। वर्ष 2004 में जनता इंटर कॉलेज रूद्रपुर से कक्षा 12 उत्तीर्ण करते ही वे कुमाऊँ रेजीमेंट में भर्ती हो गए। सिपाही दीपक सिंह बहुत ही मेहनती और लगन शील सैनिक थे। वर्ष 2010 में उन्होंने अल्मोड़ा से स्नातक की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। दिनांक 7 जुलाई 2012 को जम्मू कश्मीर के कान्दरबल चौक के पास आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में वीरता, साहस व देशभक्ति का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते हुए भारत मां का यह लाल शहीद हो गया।

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