-1 करोड़ 80 लाख लोग देख चुके हैं भावना के एक वायरल वीडियो को और जिसे मिले हैं 24 लाख हार्ट्स
-वीडियो देखकर लोग हो जाते हैं हैरान कि यह किसी लड़के ने बनाया है या लड़की ने
-300 से भी ज्यादा पहाड़ी वीडियो बनाए हैं टिक-टॉक पर
-पहाड़ी वेशभूषा पहनकर बनाए पंजाबी, हरियाणवी, बंगाली, मराठी, बिहारी, नेपाली और हिमाचली भाषा में टिक-टॉक वीडियो
-10 वीडियोस के व्यूज हैं 1 मिलियन पार
समाचार सच, हल्द्वानी। “उत्तराखंड मेरी मातृभूमि, मातृभूमि यो मेरी पितृभूमि, ओ भूमि तेरी जय जयकारा, म्यर हिमाला…” इंसान दुनिया में चाहे कहीं भी रह रहा हो लेकिन जब उसके मन में अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम उमड़ता है तो वह अपनी मातृभूमि के लिए कुछ ना कुछ करने के लिए जरूर प्रेरित हो जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ दिल्ली में रहने वाली भावना चुफाल के मन में। मूल रूप से पिथौरागढ़ के थल के नापड़ गाँव की रहने वाली भावना वर्तमान में अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहती है। उनके पिता गोविंद सिंह चुफाल एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत है व माता गंगा देवी एक सफल ग्रहणी हैं। भावना ने बताया कि वे अभी दिल्ली विश्वविद्यालय से स्पोर्ट्स विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हैं।



एक साल पहले उनके मन में टिक-टॉक पर आईडी बनाने का ख्याल आया। हुआ कुछ यूँ कि उनके सारे दोस्त अपनी भाषा में वीडियोस बनाकर टिक-टॉक पर अपलोड किया करते थे। तो एक दिन उन्होंने भी सोचा कि उनको भी अपने पहाड़ की संस्कृति को दर्शाने के लिए कुछ वीडियो बनाने चाहिए। फिर क्या था वे टिक-टॉक पर एक के बाद एक वीडियो बनाती चली गई और एक दिन उनका “ब्वॉय लुक” वाला वीडियो वायरल हो गया। जिसे अभी तक टिक-टॉक पर 1 करोड़ 80 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं और जिसे 24 लाख लोगों ने हार्ट्स भी दिया है। आज उनकी प्रसिद्धि का आलम यह है कि उनके टिक-टॉक पर 10 लाख से भी ज्यादा फॉलोअर्स हैं।
वे अभी तक 300 से भी ज्यादा वीडियो पहाड़ी भाषा में बना चुकी हैं। भावना ने पहाड़ी वेशभूषा खासकर पिछौड़ा और नथ पहनकर पंजाबी, हरियाणवी, बंगाली, मराठी, बिहारी, नेपाली और हिमाचली भाषा में भी टिक-टॉक वीडियो बनाये हैं।
उनके कुछ वीडियो को देखकर तो अक्सर दर्शक भ्रम में पड़ जाते हैं कि ये वीडियो किसी लड़के ने बनाया है या लड़की ने। दर्शकों द्वारा उनके “ब्वॉय लुक” व “गर्ल लुक” को बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है। उनका पहाड़ी वीडियो आते ही उनके फॉलोअर्स में उन्हीं की तरह वीडियो बनाने की होड़ मच जाती है।

उन्हें हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय ने उत्तराखंड की संस्कृति पर हो रहे कार्यक्रम में बुलाया था जिसमें उन्हें तृतीय पुरस्कार से नवाजा गया।


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