साइटिका पेन में रामबाण सिद्ध होता है ये देसी इलाज

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समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। आज की फास्ट लाइफ में एक निरोगी शरीर किसी वरदान से कम नहीं है। ऐसा शायद ही कोई होगा, जिसे कभी कोई रोग नहीं होता। आधुनिक युग में खान-पान की कमी, व्यायाम से दूर रहना और बढ़ता शहरी प्रदूषण ना चाहते हुए भी व्यक्ति को बड़े रोगों की चपेट में ले आता है। आज हम आपको एक ऐसे रोग के बारे में बताने जा रहे हैं जो 30 से 40 वर्ष की आयु के अधिकतम लोगों को सताने लगता है। इसका जितना भी अंग्रेजी इलाज कराया जाए, यह पूरी तरह से ठीक नहीं होता। किंतु एक देसी इलाज इस रोग के लिए रामबाण सिद्ध हो सकता है।

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साइटिका में कमर से संबंधित नसों में सूजन आ जाने के कारण पूरे पैर में असहनीय दर्द होता है। यह न्यूरलजिया (तंत्रिका शूल) तंत्रिका में होने वाले दर्द का एक प्रकार है जिसमें साइटिका नर्व (गृध्रसी तंत्रिका) में कुछ कारणों से दबाव पड़ने लगता है। साइटिका में पीड़ा नितंबसंधि के पीछे से प्रारम्भ होकर धीरे-धीरे बढ़ती हुई साइटिका नर्व के अंगूठे तक फैलती है। घुटने और टखने के पीछे पीड़ा अधिक रहती है और पीड़ा के साथ शून्यता भी हो सकती है। इस रोग की गम्भीर अवस्था में असहनीय पीड़ा के कारण रोगी बिस्तर पर पड़ा रहता है। रोग पुराना होने के साथ पैर में क्षीणता और सिकुड़न आ जाती है।

साइटिका क्या है?
आयुर्वेद में साइटिका को गृध्रसी रोग कहा गया है। पैर में होने वाली पीड़ा के कारण व्यक्ति के चलने का तरीका गिद्ध के समान हो जाता है इसलिए इसे गृध्रसी कहा गया है। आयुर्वेद में इसे वात रोगों के अन्तर्गत रखा गया है। यह बढ़े हुए वातदोष एवं दूषित कफदोष के कारण होता है। अत्यधिक वातप्रकोपक आहार जैसे- बीन्स, अंकुरित अनाज, डिब्बाबंद भोजन, शुष्क एवं शीतल पदार्थ, कटु तथा कषाय रसयुक्त द्रव्यों के अधिक सेवन करने से या फिर अत्यधिक उपवास करने से, बहुत देर खड़े रहने या बैठे रहने से वातदोष की वृद्धि होती है जिस कारण गृध्रसी और अन्य तरह के वात रोग शरीर में उत्पन्न होते हैं।

यह रोग अधिक मेहनत करने वाले या भारी वजन उठाने वाले व्यक्तियों में होता है। आमतौर पर यह समस्या 50 वर्ष की उम्र के बाद ही देखी जाती है। व्यक्ति के शरीर में जहाँ-जहाँ भी हड्डियों का जोड़ होता है, वहां एक चिकनी सतह होती है जो हड्डियों को जोड़े रखती है, उम्र बढ़ने के साथ यह चिकनी सतह घिसने लगती है तब हड्डियों पर इसका बुरा असर होता है जिसके कारण असहनीय दर्द होता है। जब यह कड़ी हो जाती है तो आपकी साइटिका नर्व पर दबाव पड़ता है जिससे साइटिका हो जाता है। लम्बे समय तक बैठे रहने से, गिरने से या किसी दुर्घटना के कारण गंभीर पिरिफोर्मिंस हो सकता है।

हम यहां बात कर रहे हैं कमर दर्द या साइटिका के दर्द की।
इस नाड़ी का नाम इंग्लिश में साइटिका नर्व है। इसी नाड़ी में जब सूजन और दर्द के कारण पीड़ा होती है तो इसे वात शूल अथवा साइटिका का दर्द कहते है। इस रोग का आरंभ अचानक और तेज दर्द के साथ होता है। 30 से 40 साल की उम्र के लोगों में ये समस्या आम होती है।

साइटिका का दर्द क्यों होता है इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि सर्दी लगने से, अधिक चलने से, मलावरोध (शौच न होना), स्त्रियों में गर्भ की अवस्था के दौरान भी यह दर्द होने लगता है। इसके अलावा नसों की सूजन से इस दर्द को बढ़ावा मिलता है।

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लहसुन के दूध से दूर होगा साइटिका का दर्द
लहसुन का दूध भी काफी फायदेमंद होता है। ज्यादातर लोगों को लहसुन के दूध के बारे में जानकारी नहीं होती, लेकिन हम आपको बता दें कि यह बहुत ज्यादा लाभकारी है। जानते हैं कि इसका इस्तेमाल हम किस प्रकार से कर सकते हैं। इसके लिए आपको 4 लहसुन की कलियां और 200 मि. ली. दूध चाहिए।

इस तरह से बनाएं लहसुन का दूध
लहसुन का दूध बनाने के लिए सबसे पहले दूध को गर्म कर लें। फिर उसमें तीन से चार लहसुन को कद्दूकस कर के डालें। और फिर थोड़ी देर के लिए दूध को उबालें। लीजिए आपके लिए लहसुन का दूध तैयार है। इसके बाद दूध को अपनी सुविधानुसार गर्म या थोड़ा ठंडा करके पी लें।

पोषक तत्वों से भरपूर
ये दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
इसमें विटामिन ए, मिनरल, प्रोटीन, एंजाइम्स आदि होते हैं।
ये सभी बैक्टीरिया को अप्रभावी कर देता है। ऐसे में रोज इस दूध का सेवन करें और स्वस्थ बने रहें

दूर करता है साइटिका का दर्द

साइटिका एक ऐसा दर्द है, जिसमें कमर से लेकर पैर की नसों तक में दर्द होता है। इसे ही साइटिक नर्व कहते हैं। जब इस नर्व्स में सूजन हो जाती है तो दर्द देने लगता है जिसे साइटिका का दर्द कहते हैं। कभी-कभी तो यह दर्द इतना अधिक हो जाता है कि इससे चलने तक में समस्या होती है। ऐसी स्थिति में लहसुन का दूध रामबाण इलाज माना जाता है। लेकिन साइटिका का दर्द दूर करने के लिए आपको ये दूध रेग्युलर पीना होगा। इस दूध से साइटिक को नसों में आई सूजन कम हो जाती है जिससे आऱाम मिलता है और दर्द कम हो जाता है।

हरसिंगार साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद
हरसिंगार के पत्ते साइटिका के रूप में बहुत लाभदायक होते हैं। हरसिंगार के 250 ग्राम पत्ते साफ करके एक लीटर पानी में उबालें, जब पानी लगभग 700 मि.ली. बच जाए तब उतारकर ठण्डा करके छान लें। अब इसमें 1-2 रत्ती केसर घोंटकर मिलाए और इस पानी को एक बर्तन में भरकर रोज सुबह-शाम एक कप की मात्रा में पिएँ। एक माह तक नियमित रूप से इसका सेवन करें।

सहजन साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद
सहजन (मुनगा) की पत्तियाँ 100 ग्राम, अशोक की छाल 100 ग्राम और अजवायन 25 ग्राम इन सब सामग्रियों को 2 लीटर पानी में उबाले। जब यह पानी 1 लीटर बच जाए तो उसे छान कर रख लें। इस काढ़े को 50-50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम लें। इसे 3 माह तक नियमित रूप से लेने से साइटिका की समस्या दूर हो जाती है।

कायफल साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद
कायफल एक पेड़ की छाल है, यह देखने में गहरे लाल रंग की खुरदुरी होती है। इसे लाकर कूट-पीसकर बारीक पीस लेना चाहिए। अब एक कड़ाही में 500 ग्राम सरसों का तेल लेकर गर्म करें। तेल गर्म हो जाने पर थोड़ा-थोड़ा करके 250 ग्राम कायफल का चूर्ण मिलाएं। पाँच मिनट तक पकने के बाद इस तेल को आँच से उतार कर कपड़े से छान लें। दर्द होने पर इस तेल से हल्का गर्म करके धीरे-धीरे मालिश करें। मालिश करते समय दबाव न बनाएँ और मालिश के बाद सिकाई जरूर करें।

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मेथी साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद
मेथी के बीच साइटिका के दर्द से निजात दिलाने में मददगार होते हैं। साइटिका का दर्द होने पर सुबह एक चम्मच मेथीदाना पानी के साथ निगल लें अथवा 1 ग्राम मेथीदाना पाउडर और सोंठ पाउडर को मिलाकर गर्म पानी के साथ दिन में 2-3 बार लेने से दर्द में आराम मिलता है।

अजवाइन साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद
अजवायन में प्राकृतिक सूजनरोधी गुण मौजूद होते हैं। 10 ग्राम अजवायन को एक गिलास पानी में डालकर अच्छे से उबाल लें, उसके बाद इसे छानकर पानी को पियें।

हल्दी साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद
हल्दी में एंटी-इंफ्लैमटोरी गुण पाये जाते हैं और यह साइटिका के उपचार की बेहतरीन औषधि है। सोने से पहले दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर पिएँ।

सेंधा नमक साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद
साइटिका के दर्द से निजात पाने के लिए गर्म पानी के एक बाथ टब में दो कप सेंधा नमक मिलाकर बैठ जाएं। लगभग 20 मिनट तक अपने पैर और पीठ के निचले हिस्सों को पानी में डुबा कर रखें। हफ्ते में तीन बार इस प्रक्रिया को करें।

सरसों का तेल साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद
सरसों के तेल में 2-3 तेजपत्ते और 2-3 कली लहसुन डालकर तेल को पका लें। अब इसे गुनगुना करके कमर और पैर में हल्के हाथों से मालिश करें। इससे दर्द और सूजन दोनों में लाभ मिलता है।

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ?
सियाटिका तंत्रिकाओं में होने वाली एक सूजनकारी बीमारी है जिसमें कमर से लेकर पैर के अंगूठे तक दर्द होता है। इस तरह का दर्द उठने पर घरेलू उपचार एवं निर्दिष्ट जीवनशैली अपनाना चाहिए। यदि ऐसा करने से लाभ न मिले और दर्द में तीव्रता बढ़ती जाए तो तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए अन्यथा रोग गम्भीर होकर पैरों की गतिविधि और महसूस करने की क्षमता में आंशिक या पूर्ण अक्षमता हो सकती है।

सबसे पहले जाने कि साइटिका के उपचार के लिए किन चीजों का प्रयोग किया जा सकता है।
-ब्लड और नसों का सर्कुलेशन सही होगा, दर्द कम होगा, स्टिफनेस कम होगी।

कटिवस्ति के फायदे
ब्लड और नसों का सर्कुलेशन सही होगा, मांसपेशियों को आराम मिलेगा, स्टिफनेस कम होगी, दर्द कम होगा।

एरंड का प्रयोग
एरंड काढ़ा खाली पेट पिएं, एरंड का तेल रात में दूध के साथ लें, एरंड के पत्तों का लेप करें।

जरूरी हैं ये काढ़े
दशमूल का काढ़ा, महारास्नादि काढ़ा, रास्नासप्तक काढ़ा।
-पेस्ट जो प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं
-अदरक,कपूर,पिप्पली का पेस्ट, जायफल का चूर्ण, तिल के तेल का पेस्ट, अश्वगंधा का चूर्ण,तिल के तेल का पेस्ट। साथ ही लहसुन का कल्प लगाएं, लहसुन की कली खाएं।

खाने के बाद करें प्रयोग
बालारिष्ट, दशमूलारिष्ट, अश्वगंधारिष्ट, खाने के बाद लें। साथ में अश्वगंधा का चूर्ण, सिंहनाद गुग्गुल, योगराज गुग्गुल दर्द कम करने के लिए लें।

क्या करें
गुनगुना पानी पिएं, धूप लें, वजन कम करें, घर का खाना खाएं, गाय का घी, गाय का दूध, ओलिव ऑयल, तिल का तेल, मछली का तेल, गेहूं, लाल चावल, अखरोट, मुनक्का, किशमिश, सेब, अनार, आम, और इमली का प्रयोग करें।

क्या न करें
तैलीय खाना, मसालेदार खाना, ठंडा खाना, बासी खाना, अधिक व्यायाम, ओवर ईटिंग, दिन में सोना, रात में जागना, जामुन, सुपारी, अरहर की दाल, मूंग की दाल आदि से दूर रहें।

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