नशे की कमर को तोड़ने के लिए हम सबको एकजुट होकर लेना है संकल्प : आईजी भरणे

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We all have to take a united resolve to break the back of drug addiction: IG Bharan

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समाचार सच, हल्द्वानी। पुलिस महानिरीक्षक कुमाऊं डॉ. नीलेश आनंद भरणे एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स, एसओजी टीम (Inspector General of Police Kumaon Dr. Nilesh Anand Bharne Anti Narcotics Task Force, SOG Team) के साथ हीरानगर स्थित नशा मुक्ति केंद्र (Drug de-addiction center) पहुंचे। जहां उन्होंने नशा मुक्ति केंद्र में उपचाराधीन व्यक्तियों से मिलकर उनसे नशे के दुष्प्रभाव के बारे में अपने तर्क साझा किए। बताया कि हमारा प्रदेश उत्तराखण्ड भी धीरे-धीरे नशे की चपेट में आता जा रहा है। उपचाराधीन व्यक्तियों से जब वो नशे में होने की स्थिति व दुष्प्रभावों की जानकारी ली गयी। इस दौरान आईजी डॉ भरणे ने नशे की कमर तोड़ने हेतु सबको एक जुट होकर संकल्प लेते हुए नशे के विरुद्ध कार्य करने को कहा। साथ ही नशे के कारोबारियों के सम्बन्ध में पुलिस को सूचना देने के लिए प्रोत्साहित किया। बताया कि क्षेत्र में नशे के कारोबार को रोकने के लिए हमें सर्वप्रथम नशे की डिमांड को खत्म करना होगा। नशे से सम्बन्धित कोई भी सूचना देने हेतु परिक्षेत्रीय स्तर पर एक हैल्प लाईन नम्बर 8077713006 (Help Line Number 8077713006) जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र में नशे के लगातार प्रचलन शिकायत व किसी पुलिस कर्मी द्वारा शिकायत नहीं सुनी जाती है तो उक्त हैल्पलाईन नम्बर पर काल/व्हाटसएप के माध्यम से दी जा सकती है। आईजी ने कहा कि जिला स्तर पर नशे की रोकथाम एवं प्रचार प्रसार हेतु ड्रग्स वालेन्टियर्स ग्रुप बनाये जायेंगे। साथ ही नशे की रोकथाम हेतु हर जनपद में एएनटीएफ टीम का गठन किया गया है। जो हर समय उपलब्ध रहेगा। कहा कि एएनटीएफ को वाहन व डॉग स्क्वॉड टीम से लैस किया जायेगा। उन्होंने नशे के काराबारियों द्वारा अवैध रुप से अर्जित सम्पत्ति का डाटा बैंक तैयार किया जा रहा है। उनपर गैंगस्टर एक्ट लगाते हुए उनकी सम्पत्ति जब्तीकरण की कार्यवाही की जायेगी। बताया कि नशे की रोकथाम हेतु जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य किया जा रहा है। ऐसी कोई सूचना जिसमें किसी पुलिस अधिकारी/कर्मचारी द्वारा नशे की रोकथाम में लापरवाही या संलिप्तता पायी जाती है उसके विरुध कठोर कार्यवाही की जायेगी। आईजी ने उपचाराधीन व्यक्तियों को बताया कि हम नशे की लत में फंसे व्यक्ति को नहीं पकड़ते अपितु उनसे नशे के सोर्स के बारे में पूछते हैं। इस दौरान डॉ सुशीला तिवारी अस्पताल से मनोचिकित्सक डॉ. युवराज पंत व प्रोजेक्ट कोर्डीनेटर रश्मि पंत भी मौजूद रही।

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