पूर्ण सूर्य ग्रहण कल, जानें भारत में कितने बजे लगेगा और क्या होगा असर?

खबर शेयर करें

समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। 4 दिसंबर को लगने वाला ये ग्रहण 15 दिनों के अंदर लगने वाला दूसरा ग्रहण है। इससे पहले 19 नवंबर को चंद्रमा ग्रहण लगा था। ये ग्रहण खग्रास यानी कि पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। आइए जानते हैं कि ये सूर्य ग्रहण भारत में कितने बजे लगेगा और भारत पर इसका क्या असर होगा. दुनिया के किन हिस्सों में साल का सूर्य ग्रहण अच्छी तरह दिखेगा और आप लाइव कहां इस खगोलीय घटना को देख सकते हैं, जानिए हर सवाल का जवाब-

कब और कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण?

भारतीय समयानुसार, ये पूर्ण सूर्य ग्रहण सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो जाएगा और दोपहर 3 बजकर 07 मिनट पर खत्म होगा। सूर्य ग्रहण की अवधि लगभग 4 घंटे 8 मिनट होगी। ये ग्रहण अंटार्कटिका के अलावा दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिणी अटलांटिक के देशों से दिखाई देगा। ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। सुबह लगने की वजह से ये ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा। भारत में नजर ना आने की वजह से ग्रहण काल के दौरान किसी भी तरह के कार्यों पर पाबंदी नहीं होगी।

क्या सूतक काल माना जाएगा?

4 दिसंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। भारत में नजर ना आने की वजह से इस बार सूतक के नियम नहीं माने जाएंगे। साथ ही ग्रहणकाल के दौरान मांगलिक कार्यों पर भी रोक नहीं लगेगी. सूतक काल मान्य ना होने की वजह से मंदिरों के कपाट बंद नहीं किए जाएंगे और ना ही पूजा-पाठ वर्जित होगी।

यह भी पढ़ें -   18 अपै्रल 2024 बृहस्पतिवार का पंचांग, जानिए राशिफल में आज का दिन कैसा रहेगा आपका….

इस सूर्य ग्रहण की खास बातें

यह ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में होगा। इस ग्रहण की सबसे खास बात ये है कि इसमें सूर्य का संयोग केतु से बनने जा रहा है। साथ ही इस ग्रहण में चन्द्रमा और बुध का योग भी होगा। सूर्य और केतु का प्रभाव होने से दुर्घटनाओं की संभावना बन सकती है। इसके अलावा इस दिन सूर्य ग्रहण के साथ शनि अमावस्या का भी अद्भुत संयोग बन रहा है। शनि देव को सूर्य का पुत्र कहा जाता है। ऐसे में इस ग्रहण के प्रभाव से शनि और सूर्य दोनों की कृपा प्राप्त हो सकती है।

क्या होता है सूर्य ग्रहण?

सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आते हैं। यह खगोलीय घटना चंद्रमा के सूरज और धरती के बीच आ जाने के कारण होती है। इस दौरान चंद्रमा सूरज की किरणों को ब्लॉक कर देता है और धरती के हिस्सों पर उसकी छाया पड़ती है। हालांकि, चंद्रमा की छाया इतनी बड़ी नहीं होती है कि वह पूरी धरती को ढक ले। इसीलिए ग्रहण के दौरान कुछ समय के लिए एक विशेष इलाके में ही अंधेरा छाता है।

यह भी पढ़ें -   कलयुग में हनुमान जी को सबसे सिद्ध देवता माना गया है जो आपकी किसी भी इच्छा को पूर्ण कर सकते हैं

क्या होता है पूर्ण सूर्य ग्रहण?

जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है और सूर्य की किरणें धरती तक नहीं पहुंच पाती, इस घटना को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है। जब चंद्रमा सूर्य को आंशिक रुप से ढक लेता है तो इस घटना को आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है। वहीं, जब चंद्रमा सूर्य का मध्य भाग ढक लेता है और सूर्य एक रिंग की तरह नजर आने लगता है तो इस खगोलीय घटना को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।

कहां देख सकते हैं सूर्य ग्रहण
टेलिस्घ्कोप की मदद से देखने से ये सूर्य ग्रहण बहुत ही खूबसूरत दिखाई देगा। इसे आप वर्चुअल टेलिस्कोप की मदद से देख सकते हैं।

सूर्य ग्रहण खत्म होने पर करे ये उपाय

ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचने के लिये महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करें। ग्रहणकाल के बाद गंगाजल छिड़क कर घर का शुद्धिकरण कर लें। सूर्य ग्रहण के अगले दिन धनु संक्रांति है तो आप सूर्य से संबंधित कोई वस्तु दान करें। आप अगले दिन तांबा, गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र और तांबे की कोई वस्तु दान कर सकते हैं।

सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -

👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

👉 फेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज़ लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करें

हमसे संपर्क करने/विज्ञापन देने हेतु संपर्क करें - +91 70170 85440