समाचार सच, देहरादून। उत्तराखंड के आगामी निकाय चुनाव के बीच कांग्रेस पार्टी में असंतोष और आक्रोश की लहर तेज हो गई है। चुनाव प्रचार के दौरान बागी नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया धीमी पड़ने से पार्टी की स्थिति पर सवाल उठने लगे हैं।
बागी नेताओं की संख्या और स्थिति
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस समय कांग्रेस में करीब 20 बागी नेता हैं, जो पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। इनमें पिथौरागढ़ के विधायक मयूख महर का नाम प्रमुख है, जिन्होंने पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ एक निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन दिया है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्रवाई पर सवाल
प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा बागियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया में देरी पर सवाल उठने लगे हैं। पार्टी ने दो जनवरी को नाम वापसी की अंतिम तिथि के बाद बागियों पर अनुशासनात्मक कदम उठाने की योजना बनाई थी, लेकिन जिलाध्यक्षों और महानगर अध्यक्षों से रिपोर्ट मिलने के बाद कार्रवाई को स्थगित कर दिया गया है। इस देरी से पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ रही है, खासकर उन नेताओं के बीच जिन्होंने पार्टी नीति के खिलाफ जाकर पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया, जैसे कि वरिष्ठ नेता मथुरा दत्त जोशी।
मयूख महर की बगावत
पिथौरागढ़ सीट पर विधायक मयूख महर का पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ खड़ा होना पार्टी नेतृत्व के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है। मयूख महर ने निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन देने के साथ अपनी स्थिति और भी मजबूत की है। इससे पार्टी के भीतर असंतोष और विरोध का माहौल बन रहा है।
पार्टी की प्रतिक्रिया
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने बागी नेताओं के खिलाफ शीघ्र अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कही है। उन्होंने कहा कि बागी नेताओं को पहले वापसी का अवसर दिया गया था और अब जो लोग बगावत पर अड़े हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जिलाध्यक्षों से रिपोर्ट भेजने का निर्देश भी दिया है।
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