विष योग बनाता है शनि और चंद्रमा की युति, जानें इसके नुकसान और फायदे

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। ज्योतिष शास्त्र में शनि और चंद्रमा को विशेष ग्रह माना गया है। जहां शनि की चाल बेहद धीमी है और राशि बदलने में लगभग ढाई वर्ष का समय लगाता है, वहीं चंद्रमा लगभग सवा दो दिन में ही राशि बदल देता है।

कुंडली में शनि और चंद्रमा की युति बनती है तो एक विशेष प्रकार का योग बनता है, जिसे विष योग कहा जाता है। ज्योतिष ग्रंथों में इस योग के बारे में दोनों तरह के फल बताए गए है। लेकिन इसे अशुभ योग की श्रेणी में ही रखा जाता है।

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शनि और चंद्रमा की युति
ज्योतिष शास्त्र में शनि का जहां एक क्रूर और न्यायप्रिय ग्रह की श्रेणी में रखा गया है, वहीं चंद्रमा को मन का कारक बताया गया है. चंद्रमा का संबंध माता से भी है। चंद्रमा का स्वभाव चंचल बताया गया है। कुंडली में जब ये दोनों ग्रह एक साथ किसी भी तरह का संबंध बनाते हैं तो विष योग की स्थिति बनती है।

विष योग में क्या होता है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में बनने वाला ये योग जीवनभर अशुभ फल प्रदान करता है। इस योग के बारे में कहा जाता है कि जब कुंडली में ये योग मौजूद हो तो ऐसा व्यक्ति यदि पालतु श्वान को भी यदि रोटी खिलाए तो भी उसे एक न एक दिन काट ही लेता है। इस योग का सबसे अशुभ फल यही है कि ऐसा व्यक्ति मित्र, सगे संबंधियों से ठगा जाता है. इनसे धोखा पाता है। विष योग में व्यक्ति अपने सभी कामों को बहुत ही गंभीरता से करता है। जिस कारण उसे सफलता भी मिलती है।

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विष योग का उपाय
जिन लोगों की कुंडली में विष योग है उन्हें शनि देव की पूजा करनी चाहिए और प्रत्येक शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे नारियल फोडें। ज्येष्ठ मास में पानी से भरा घड़ा शनि या हनुमान मंदिर में दान करने से लाभ मिलता है। हनुमान जी की पूजा करने से भी विष योग दूर होता है। शनिवार को कुएं में कच्चा दूध डालने से भी इस योग का प्रभाव दूर होता है।

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