समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने का खास महत्व होता है। ऐसा करने से मनुष्य को जीवन के समस्त दुखों से छुटकारा मिल सकता है और बेहद पुण्य फल की प्राप्ति होती है। लेकिन अजा एकादशी पर व्रत के कुछ खास नियमों का ख्याल रखना भी आवश्यक होता है। तभी इस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं कि
दशमी तिथि से ही करें ब्रह्मचर्य का पालन
इस बार अजा एकादशी व्रत 19 अगस्त, मंगलवार के दिन रखा जाएगा और एकादशी के नियम दशमी तिथि से ही शुरू हो जाते हैं। मान्यता है कि इसी दिन से तामसिक भोजन का त्याग करके सात्विक आहार लेना चाहिए। दशमी तिथि से ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी माना जाता है। साथ ही, जो लोग यह व्रत नहीं रखते उन्हें भी एकादशी के दिन प्याज, लहसुन आदि तामसिक चीजों से परहेज करना चाहिए।
रात्रि में सोने की बजाए करें जागरण और मंत्रों का जाप
माना जाता है कि अजा एकादशी के दिन रात्रि के समय सोने की बजाए पूरे वक्त भगवान विष्णु के भजन गाने चाहिए। ऐसा संभव न हो तो आप रात में विष्णुजी के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। ऐसा करने से मनुष्य को भगवान की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है और जीवन के दुख दूर हो सकते हैं।
एकादशी तिथि पर भूलकर भी न करें ये काम
अजा एकादशी व्रत के दिन क्रोध करने, झूठ बोलने, झगड़ा करने, बुराई करने आदि कार्यों से बचना चाहिए। ऐसा करने से शुभ की जगह अशुभ फल की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही, इस शुभ तिथि पर दिन के समय सोना भी वर्जित माना जाता है।
द्वादशी तिथि पर खोलें व्रत
द्वादशी तिथि पर खोलें व्रत
एकादशी के दिन व्रत रखने के बाद द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण किया जाता है। ऐसे में अगले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद, भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने के बाद तुलसी के पत्तों का सेवन करके व्रत का पारण करें। इस विधि से अजा एकादशी व्रत करना बेहद फलदायी माना जाता है।
चावल का भूलकर भी न करें सेवन
मान्यता है कि भूलकर भी एकादशी तिथि पर चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से जातक को अशुभ फल की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही, परिवार के भी किसी सदस्य को इस पुण्य तिथि पर चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
व्रत का संकल्प लें और कथा का पाठ करें
अजा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा और आरती करनी चाहिए। साथ ही, व्रत का संकल्प भी अवश्य लें और व्रत कथा का पाठ करें। ऐसा करने से जीवन के समस्त दुखों और पापों से आपको मुक्ति मिल सकती है।
गलती से भी न तोड़ें तुलसी के पत्ते
एकादशी तिथि पर तुलसी के पत्तों को तोड़ना वर्जित माना गया है। लेकिन द्वादशी तिथि पर तुलसी के पत्तों से व्रत का पारण किया जाता है। ऐसे में उस दिन आप घर के बच्चे या बड़े से यानी जिसने एकादशी का व्रत न किया हो उनसे द्वादशी तिथि पर तुलसी के पत्ते तुड़वा लेने चाहिए। क्योंकि द्वादशी तिथि के दिन भी व्रती द्वारा तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित माना गया है।

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