सीएम के लिए सीट की तलाश कहां होगी पूरी

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जीना के निधन के कारण सल्ट सीट खाली होने के कारण टिकी दिग्गजों की नजरें

समाचार सच, हल्द्वानी (अजय चौहान) नये सीएम तीरथ सिंह रावत की ताजपोशी तो हो गयी है लेकिन अब उनके लिए एक सुरक्षित सीट की तलाश होने लग गयी है। हालाकि अभी उनको शपथ ग्रहण किये हुए अभी एकाध ही दिन हुए हैं और उनके लिए आने वाले दिनों में उनके लिए सुरक्षित सीट की तलाश में मंथन की कवायद हो सकती है। इधर आने वाले एक साल के अन्दर राज्य में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। वहीं सीएम को छह महीने के अन्दर विधायक बनना आवश्यक है। इसलिए उनके लिए एक सीट की तलाश आने वाले दिनों में तेेज हो सकती है। हालाकि सीएम के लिए उनके लिए चुनाव जीतना मुश्किल नहीं है लेकिन पार्टी उनके लिए आसान सीट चुनना चाहेगी।
ज्ञात हो कि राज्य बनने के बार तमाम सांसदों के लिए विधानसभा सीटें तलाशने में पार्टियों के लिए आसान नहीं रहा। पहले सीएम नारायण दत्त तिवारी के लिए कांग्रेस की तलाश रामनगर में पूरी हुई। वहीं 2007 में भाजपा को तत्कालीन सीएम भुवन चन्द्र खंडूरी के लिए कांग्रेस के विधायक टीपीएस रावत ने अपनी सीट धूमाकोट सीट छोड़ी और वहां से खंडूरी के लिए राह आसान हुई।

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रामनगर, धूमाकोट, सितारगंज व धारचूला में हुआ उपचुनाव
हल्द्वानी।
सीएम बनने के लिए सांसदों को विधायक बनने के लिए राज्य में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ। 2002 में नारायण दत्त तिवारी के लिए रामनगर से योगंबर सिंह रावत, 2007 में धूमाकोट से तेजपाल सिंह रावत, 2012 में किरण मंडल व 2014 में हरीश रावत के लिए धारचूला से हरीश सिंह धामी ने विधानसभा की सीट छोड़ी थी। इन चारों सीटों पर राज्य की जनता को उपचुनाव झेलना पड़ा था।

सांसदों के लिए भी जनता ने झेला उपचुनाव
हल्द्वानी।
2002 में नैनीताल के सांसद नारायण दत्त तिवारी, 2007 में पौड़ी से भुवन चन्द्र खंडूरी, 2012 में टिहरी से विजय बहुगुणा के सीएम बनने के बाद उनकी सीटों पर उपचुनाव हुआ था। वहीं 2014 में हरिद्वार के सांसद हरीश रावत के सीएम चुने जाने के बाद रिक्त हुई हरिद्वार सीट पर चुनाव आम चुनावों के साथ ही संपन्न हुआ।

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क्या सल्ट बनेगा अगले रण का गवाह
हल्द्वानी।
इधर अल्मोड़ा जिले में सल्ट की सीट भाजपा के विधायक सुरेन्द्र सिंह जीना के निधन के बाद खाली है। यहां पर अभी चुनाव कराने के लिए तिथि निर्धारित नहीं हुई है। इधर राज्य में नये सियासती समीकरण से यहां की रिक्त सीट भी चर्चाओं का केन्द्र बन गयी है। सियासी गलियारों में भी इस बात पर चर्चायें जारी हैं कि क्या यहां से चुनावों में स्थानीय प्रत्याशी ही चुनाव लड़ेगा या कोई नया प्रयोग हो सकता है। यह आने वाले दिनों में पता चल जायेगा।

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