समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। भारतीय संस्कृति में काला रंग शनि का माना जाता है जबकि बिल्ली को राहु की सवारी मानते हैं। ऐसे में काली बिल्ली दिख जाना शनि और राहु का प्रकोप मान लिया जाता है मगर बिल्लियों के रास्ता काटने के बाद गाड़ियों को रोक देने की जो प्रथा वो सिर्फ इन मान्यताओं से जुड़ी नहीं है। आपने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि अगर काली बिल्ली रास्ता काट गई है तो भूल से भी उस रास्ते आगे नहीं बढ़ना चाहिए. यूं तो ये एक प्रकार का अंधविश्वास ही है, मगर इसके पीछे एक कारण है। बिल्ली के रास्ता काटने की स्थिति को लोग दो तरह से देखते हैं। एक तो इसे अपशकुन मानकर लौट जाते हैं जबकि इसपर ध्यान ही नहीं देते। वो उनकी सोच और मान्यता पर निर्भर करता है मगर आज हम आपको इस मान्यता से जुड़ा एक खास कारण बताएंगे जो शायद आपको नहीं पता होगा।
भारतीय संस्कृति में काला रंग शनी का माना जाता है जबकि बिल्ली को राहु की सवारी मानते हैं। ऐसे में काली बिल्ली दिख जाना शनि और राहु का प्रकोप मान लिया जाता है मगर बिल्लियों के रास्ता काटने के बाद गाड़ियों को रोक देने की जो प्रथा वो सिर्फ इन मान्यताओं से जुड़ी नहीं है। इसके पीछे सालों पुरानी प्रथाएं जुड़ी हुई हैं।
बैलगाड़ियों से है बिल्ली के रास्ता काटने का संबंध
पुराने वक्त में लोगों के पास बैल गाड़ी से चलना ही एक मात्र साधन था। उस वक्त कार या बाइक नहीं हुआ करती थीं। बैल गाड़ी के चलने के दौरान अगर बिल्ली बीच में आ जाती थी तो बैल उसे देखकर घबरा जाते थे और अपनी जगह पर रुककर काफी हलचल करने लगते थे। उनके उछल-कूद करने से बैल गाड़ी पर बैठी सवारियों को भी कई बार चोट लग जाती थी। तब बैल गाड़ी चलाने वाले वहीं रुककर अपने बैलों को शांत करने की कोशिश करते थे। इस तरह वो कुछ देर बाद ही उस जगह से निकलते थे। धीरे-धीरे बिल्ली निकलने के बाद रुकने की ये प्रथा, अंधविश्वास बनने लगी। बैल गाड़ी ना होने के बावजूद भी लोग गाड़ियों रोकने लगे।
अपशकुन मानते हैं बिल्लियों को पालना
कई बार आपने ये भी गौर किया होगा कि बिल्लियां जब रास्ता काटती हैं तो एक कोने में खड़ी हो जाती हैं। लोगों का ये भी मानना है कि तब बिल्ली से दूर रहना चाहिए क्योंकि उसका अपशकुनी असर इंसान पर चढ़ जाता है। मगर ये भी सिर्फ एक अंधविश्वास है। बिल्लियां आमतौर पर किसी दूसरे जानवर या फिर इंसानों द्वारा भगाई जाती हैं। उनसे डरकर जब वो भागती हैं तो पलटकर देखती हैं कि उनका खतरा टला या नहीं। उसके अलावा वो खुद को किसी से भिड़ने से बचाने के लिए भी एक कोने में कुछ पल के लिए रुक जाती हैं। तंत्र-मंत्र के अनुसार भी बिल्लियों को नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इसलिए बिल्लियों को पालतू जानवर के तौर पर पालना ठीक नहीं माना जाता।
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