शरद पूर्णिमा जिसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं क्यों होती है खास खीर

खबर शेयर करें

समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं, इस वर्ष 6 अक्टूबर 2025, सोमवार को है। पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन चंद्र देव, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इस रात्रि में चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ पूर्ण रूप से प्रकाशित होता है।

शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं, इस वर्ष 6 अक्टूबर 2025, सोमवार को है। पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन चंद्र देव, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इस रात्रि में चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ पूर्ण रूप से प्रकाशित होता है, जिससे अमृतमयी चांदनी पृथ्वी पर बरसती है। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष स्थान है। मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो भक्त जागकर उनकी पूजा करते हैं, उन्हें समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा, यह दिन भगवान श्री कृष्ण के रास लीला के लिए भी प्रसिद्ध है। इसी दिन उन्होंने इस गोपियों के साथ रास रचाया था।

यह भी पढ़ें -   उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में बड़ा फैसला! 21 नए प्रस्ताव हुए मंजूर - अब शिक्षा, शोध और रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे!

तिथि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: रात्रि 1.53 बजे, 6 अक्टूबर 2025
पूर्णिमा तिथि समाप्ति: रात्रि 10.46 बजे, 6 अक्टूबर 2025
चंद्रोदय समय: रात्रि 6.27 बजे (स्थानीय समय, दिल्ली)

पूजा का शुभ मुहूर्त- इस दिन विशेष रूप से रात्रि 11.08 बजे से 11.57 बजे तक का समय (निशिता काल) पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
पूजा विधि
स्नान और शुद्धता: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मंदिर या पूजास्थल की सफाई: पूजा स्थल को स्वच्छ करें और दीपक लगाएं।
पंचोपचार पूजन: चंदन, दीपक, धूप, नैवेद्य और पुष्प अर्पित करें।

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
रात्रि में चंद्र देव की पूजा: चंद्र देव को जल, दूध और अक्षत अर्पित करें।
खीर अर्पण: रात्रि में खीर को चांदनी में रखें और अगले दिन उसे देवी लक्ष्मी को अर्पित करें।
आरती और भोग: आरती करने के बाद भगवान को भोग अर्पित करें और प्रसाद वितरण करें।

यह भी पढ़ें -   मुख्यमंत्री धामी का बड़ा एक्शन! टिहरी-उत्तरकाशी में बाहरी व्यक्ति को काम देने पर तलब रिपोर्ट — स्थानीयों को मिलेगा पहला हक

चंद्र देव की पूजा और अर्घ्य विधि

  • चंद्र देव को जल, दूध और अक्षत अर्पित करें।
  • माला फेरते हुए ऊँ सोम सोमाय नमः मंत्र का जाप करें।
  • चंद्र देव को खीर अर्पित करें।
    उपाय और व्रत
  • इस दिन व्रत रखें और रातभर जागरण करें।
  • गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें।
  • चांदी की कटोरी में खीर रखें और चांदनी रात में रखें।

मंत्र- माँ लक्ष्मी के मंत्र ऊँ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् का जाप करें।

स्वास्थ्य लाभ- शरद पूर्णिमा की रात की चांदनी को आयुर्वेद में औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है, जो विशेषकर अस्थमा जैसी बीमारियों के उपचार में उपयोगी होती है। इस दिन चांदनी में रखी खीर को रोगियों विशेषकर अस्थमा से पीड़ित लोगों को खिलाना अत्यंत लाभकारी माना गया है।

Ad

सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -

👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

👉 फेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज़ लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करें

हमसे संपर्क करने/विज्ञापन देने हेतु संपर्क करें - +91 70170 85440