समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। हिन्दी पंचांग का 11वां महीना माघ शुरू हो गया है। ये माह फरवरी तक रहेगा। धर्म-कर्म के नजरिए से माघ महीने का महत्व काफी अधिक है। इस महीने में खासतौर पर तिल से जुड़े शुभ काम करने की परंपरा है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, माघ महीने में पूजा-पाठ के साथ ही श्रीमद् भगवद् गीता, शिव पुराण और रामायण जैसे ग्रंथों का पाठ करना और सुनना चाहिए। जानिए इस महीने से जुड़ी खास परंपराएं…
रोज सुबह पढ़ें ग्रंथों की कथाएं
माघ माह में रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान के बाद सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। इसके बाद घर के मंदिर में धूप-दीप जलाकर पूजा करें। पूजा के बाद ग्रंथों की कथाओं का पाठ जरूर करें। समय अभाव हो तो रोज ग्रंथ के थोड़े-थोड़े हिस्से का पाठ कर सकते हैं। ग्रंथों की सीख को जीवन में उतारने का संकल्प भी लें। ऐसा करने से मन शांत होता है और हम गलत कामों से दूर रहते हैं।
माघ मास में नदियों में स्नान करने की है परंपरा
माघ माह में पवित्र नदियों में डुबकी लगाने की परंपरा है। इसी वजह से माघ महीने में हरिद्वार, काशी, मथुरा, उज्जैन, ऊँकारेश्वर जैसे धार्मिक शहरों में काफी भक्त पहुंचते हैं। इस महीने में कम से कम एक बार किसी पवित्र नदी में स्नान जरूर करना चाहिए। अगर ये संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
- नदी स्नान के साथ ही नदी किनारे दान-पुण्य करें। किसी तीर्थ में भगवान के दर्शन और पूजन करें। ज्योतिर्लिंग, शक्तिपीठ, चारधाम या किसी अन्य पौराणिक मंदिर में दर्शन कर सकते हैं।
पूजा-पाठ के साथ ही दान जरूर करें
- पूजा-पाठ के साथ ही जरूरतमंद लोगों को धन, कपड़े, जूते-चप्पल और अनाज का दान करें। कंबल, तिल-गुड़ का दान अनिवार्य रूप से करना चाहिए।
- रोज सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं। माघ मास में स्वास्थ्य लाभ के लिए सुबह जल्दी उठना चाहिए और व्यायाम करना चाहिए।
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