अतिथियों ने कुमांऊनी में बोलचाल करके गोष्ठी के वातावरण को बनाया कुमांऊनीमय

समाचार सच, हल्द्वानी/गौलापार। यहां गौलापार खेड़ा स्थित श्री राम बैंकट हाल में आपुण बोली, आपुण पछयांण विषय पर आयोजित कुमांऊनी गोष्ठी के तहत कुमाऊंनी बोली के बारे में लोगों को जागरूक किया गया। इस दौरान सभी उपस्थित अतिथियों ने कुमाऊंनी में बोलचाल करके गोष्ठी के वातावरण को कुमाऊंनीमय बना दिया। गोष्ठी का शुभारम्भ कुमगढ़ पत्रिका के संपादक दामोदर जोशी ‘देवांशु’ और कार्यक्रम की संयोजिका नमिता सुयाल द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। गोष्ठी में कुमाऊंनी बोली को नई पीढ़ी तक पहुंचाने और संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने को लेकर सभी उपस्थितजनों ने एक स्वर में संकल्प लिया।
नई पीढ़ी को कुमांऊनी बोली के बारे में जागरूक करना बहुत आवश्यक: देवांशु
गोष्ठी में अतिथि कुमगढ़ पत्रिका के संपादक दामोदर जोशी ‘देवांशु’ ने कहा कि आज की नई पीढ़ी को कुमाऊनी बोली के बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी हो गया है। इसलिए हम सबको एक होकर काम करना होगा। उन्होंने नमिता सुयाल द्वारा चलाई गई इस मुहिम की सराहना करते हुए कहा कि नमिता एक बेहतर शिक्षिका और समाज सेवी हैं।
गोष्ठी संयोजिका नमिता का आहवान- कुमांऊनी बोली को जनगणना फार्म में भरें
गोष्ठी की संयोजिका एवं आओ खुशियां बांटें फाउंडेशन की संस्थापिका नमिता सुयाल ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में अपनी कुमांऊनी बोली को दर्ज कराना है। जबकि सरकार का कहना है कि हमारी बोली को दर्ज नहीं कर सकते है। देखा जाये तो जम्मू-कश्मीर में दो भाषा दर्ज हैं। असम सहित कई राज्यों में भाषा दर्ज है। उन्होंने बताया कि जनगणना फार्म में हमारे यहां मातृभाषा हिन्दी या अंग्रेजी भर देते हैं। उन्होंने उपस्थित लोगों का आहवान करते हुए कहा कि अगर हम कुमांऊनी भाषा को महत्व दें, और जनगणना के समय हमें अपनी कुमाऊनी बोली को जनगणना फार्म में भरें। ताकि सरकार इस बारे में आगे की कार्यवाही शुरू कर सके।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही खेड़ा ग्राम प्रधान लीला बिष्ट ने कहा कि गोष्ठी के माध्यम से आज कुमाऊनी बोली का प्रचार हो रहा है यह बहुत अच्छी मुहिम है। हम सभी इसमें सहयोग करना होगा। पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य अर्जुन बिष्ट ने कहा की कुमांऊनी बोली का विषय स्कूलों में भी शुरू किया जाना चाहिए। गोष्ठी का संचालन करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत बगड़वाल ने कहा कि हम सबको अपने घरों में बच्चों से पहाड़ी में बोलचाल करनी चाहिए तभी कुमांऊनी को बचाया जा सकता है। समाजसेवी मंजू पांडेय व विद्या महतोलिया ने कहा कि हम सबको कुमाऊनी में बात करने में गर्व महसूस करना चाहिए। हर व्यक्ति को अपने घर में कुमाऊनी बोली का ही प्रयोग करना चाहिए। आज हम अपनी बोली के प्रति जागरूक नहीं हुए तो आने वाले समय में हमारी बोली विलुप्ति के कगार पर पहुंच जाएगी।
इस दौरान तनुजा बेलवाल, हेमा हर्बाेला, बची सिंह बिष्ट आदि ने कहा कि हम सबको कुमांऊनी बोली को बचाने के लिए अभियान चलाकर गांव-गांव से लोगों को जोड़ने की जरूरत है। गोष्ठी में सभी लोगों ने एक स्वर में कहा कि इस मुहिम में नमिता का साथ देकर सहभागिता करनी चाहिए।
इस मौके पर ग्राम प्रधान लीला बिष्ट, साथी एडवर्टाइजर के रवि नेगी, भुवन बेलवाल, आदित्य पंत, भीमताल लोकेश एग्रो कि लोकेश वर्मा, नीरज रैकवाल, निर्मला बिष्ट प्रधानाचार्य हीरा कुंवर, इंद्रपाल आर्य, कर्णवीर, सहित आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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