समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। देवउठनी एकादशी के दिन तुलसीजी का शालिग्राम के साथ विवाह होता है। यदि आपके घर में तुलसी का पौधा नहीं पनप पा रहे हैं या बार बार मुरझा जाता है तो यहां जानिए कि किस तरह से तुलसी माता की देखरेख करने से यह हरा भरा रहकर आपके जीवन में खुशियां भर सकता है।
उचित दिशा में रखें तुलसी का पौधा – तुलसी के पौधे को ईशान या आग्नेय कोण में रखें। तुलसी के पौधे को हमेशा एक कोने में साफ जगह पर रखें।
मौसम की मार से बचाएं – तुलसी का पौधा तेज धूप से मुरझा जाता है। उसे हल्की गुनगुनी धूम में ही रखें। तुलसी के पौधे को मौसम की मार से भी बचा कर रखना चाहिए। ज्यादा ठंड या गर्मी से तुलसी समाप्त हो जाती है। इसलिए ठंड में तुलसी माता के आसपास कपड़े या कांच का कवर लगाया जा सकता है। तेज बारिश से भी तुलसी को बचाकर रखें।
उचित मात्र में जल – तुलसी को यदि ज्यादा जल अर्पित किया तो उसकी जड़ें गल जाएगी और कम किया तो वह सूख जाएगा। तुलसी माता को नाम मात्र का जल अर्पित करें। वैसे यदि एक दिन छोड़कर भी आप पानी अर्पण करेंगे तो चलेगा। बारिश में तो सप्ताह में दो बार ही डालें।
तुलसी माता भी करती हैं उपवास – रविवार और एकादशी के दिन तुलसी महारानी ठाकुरजी के लिए व्रत रखती है। वह केवल इन्हीं दो दिनों विश्राम करती और निंद्रा लेती हैं।
मंजरियों को करें अलग – समय समय पर तुलसी की मंजरियों को तोड़कर तुलसी से अलग करते रहें अन्यथा तुलसी बीमार होकर सूख जाएगी। कहते हैं कि जब तक यह मंजरियां तुलसी माता के शीश पर रहती है तब तक वह घोर कष्ट में रहती है। तुसली पत्ता, दल या मंजरी तोड़ने से पहले तुलसी जी की आज्ञा लेना जरूरी है। रविवार और एकादशी को यह कार्य नहीं करना चाहिए। नाखुनों से तुलसी को नहीं तोड़ना चाहिए।
महिलाएं रखें ध्यान – वह महिलाएं तुलसी माता से दूर रहें जिन्हें पीरियड चल रहे हैं। यदि वे तुलसी के आसपास भी होंगी तो तुलसी मुरझाकर मर जाएगी। अतरू इस बात का विशेष ध्यान रखें।
तुलसी के आसपास रखें खुला – तुलसी माता के आसपास वस्त्रों को ना सुखाएं। गिले वस्त्रों के आसपास से साबुन की गंध और सफेद किस्म के कीड़े या बैक्टिरिया रहते हैं जिनके कारण तुलसी को भी कीड़े लग सकते हैं। ऐसा अक्सर देखा गया है कि कपड़ों के कारण तुलसी में कीड़े लगे और वह सड़कर, काली पड़कर खतम हो गई। यदि कारण है कि पुराने घरों में तुलसी का पौधा घर के बीचोबीच आंगन में लगाते थे।
दीपक जलाएं अगरबत्ती नहीं – तुलसी माता के पास प्रतिदिन सुबह और शाम को दीपक जलाया जाता है। यदि आप अगरबत्ती जला रहे हैं तो यह जान लें कि धुआं कहीं हानिकारक तो नहीं है। उचित दूरी पर ही अगरबत्ती लगाएं।
साफ और काली मिट्टी – तुलसी के पौधे के लिए बाजार से साफ और काली मिट्टी को लेकर आएं और समय समय पर मिट्टी की सफाई करते रहें और उसमें गोबर का पावडर डालें।
उचित पौधा हो आसपास – तुलसी माता के आसपास केले का या खुशबूदार पौधा लगा सकते हैं। नकारात्मक पौधों से तुलसी को दूर रखें।
शालिग्राम रखें – तुलसी का पौधा गमले में लगा रखा है तो उसमें शालिग्राम का पत्थर रखें और रोज उस पर चंदन लगाएं। शलिग्राम नहीं हो तो 2 या 4 गोल चिकने पत्तर रखें।
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