Bhadon’s Amavasya is also known as Kushotpatini Amavasya and Kushagrahani Amavasya.


समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि अमावस्या का सनातन धर्म में काफी महत्व है। ये अमावस्या पितरों को खुश करने वाली मानी जाती है। पवित्र नदी में स्नान करके इस दिन पितरों का तर्पण और उनके लिए दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और उनकी कृपा बरसती है। भादो की अमावस्या को कुशोत्पतिनी अमावस्या और कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
कब है भाद्रपद अमावस्या
इस साल भादौ माह की अमावस्या 14 सितंबर को है। गुरुवार के दिन सुबह 4.48 बजे से अमावस्या की तिथि शुरू हो जाएगी, जो 15 सितंबर की सुबह 7.09 बजे तक रहेगी। इस दिन स्नान-दान, श्राद्ध कर्म के अलावा मां दुर्गा की पूजा का विधान है।
स्नान-दान का मुहूर्त
14 सितंबर की सुबह से भाद्रपद अमावस्या का स्नान और दान कार्य शुरू हो जाएगा। इस दिन सुबह 06.05 बजे से सुबह 07.38 बजे के बीच पवित्र नदी में स्नान के बाद अपने सामर्थ्यनुसार दान करना उत्तम रहेगा।
कुशा से करें उपाय
मान्यता है कि भादौ की अमावस्या के दिन पूजा करने से किसी भी व्यक्ति के जीवन में कालसर्प दोष दूर होता है। इस दिन कुशा इकट्ठा करने की भी मान्यता है। माना जाता है कि साल भर इस कुशा का धार्मिक कार्यों में प्रयोग करने से सभी मांगलिक कार्य सफल होते हैं और पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही शक्ति यानी मां दुर्गा की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।
भाद्रपद अमावस्या पर ऐसे करें पूजा
- सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें।
- स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इसके बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें।
- पितरों की शांति के लिए गंगा तट या किसी पवित्र नदी के तट पर पिंडदान करें।
- पिंडदान के बाद दान-दक्षिणा दें।
- इस दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाएं।
भाद्रपद अमावस्या के उपाय
- इस दिन पिंडदान करें और पितरों का श्राद्ध कर्म करें।
- इस दिन ब्राह्मण भोज कराएं।
- गरीबों-जरूरतमंदों को दान करें।




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