
Come let’s know the signs by which your ancestors have become angry, do easy remedies on Bhaumvati Amavasya, Pitra Dosh will be removed





समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। इस साल की पहली भौमवती अमावस्या 21 मार्च दिन मंगलवार को है। भौमवती अमावस्या के दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा पाठ और दान करते हैं। इससे पाप मिटते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। भौमवती अमावस्या का दिन पितरों को प्रसन्न करने का भी है। पितरों के प्रसन्न रहने से परिवार में सुख-शांति रहती है। घर के लोगों की उन्नति होती रहती है। जब आप पितरों का अनादर करते हैं, उनकी उपेक्षा करते हैं तो वे नाराज हो जाते हैं। तब उस परिवार पर पितृ दोष लगता है। पितृ दोष के कुछ संकेत भी हैं, जिनसे आप जान सकते हैं कि आपके पितर नाराज हैं। भौमवती अमावस्या पर आसान उपायों से पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, भौमवती अमावस्या को शुभ योग सुबह से दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक और उसके बाद से शुक्ल योग बन रहा है। शाम 05 बजकर 25 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग लग रहा है, जो अगले दिन सुबह तक है। इस दिन आप सुबह स्नान के बाद पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करें, इससे पितृ दोष दूर होगा।
पितरों के नाराज होने के संकेत
- पितृ दोष होने या पितरों के नाराज होने से परिवार की वंश वृद्धि या संतान प्राप्ति का सुख नहीं मिल पाता है।
- जब आपके कोई भी कार्य सफल न हों। हर काम में अड़चनें आनी शुरु हो जाएं तो समझा जा सकता है कि पितर नाराज हैं।
- परिवार में एक के बाद एक सदस्य बीमार होता हो। एक ठीक हो तो दूसरा बीमार पड़ जाता हो, यह पितरों के दोष या नाराजगी के कारण हो सकता है। पितरों की शांति करने से इससे मुक्ति मिलती है।
- यदि आपके पितर नाराज हैं तो परिवार में कभी भी सुख और शांति नहीं रहेगी। हमेशा परिवार के सदस्यों के बीच वाद विवाद बना रहेगा। कलह से जीवन परेशान रहेगा।
- पितर नाराज होते हैं तो नौकरी या बिजनेस में उन्नति नहीं होती है। आर्थिक तौर पर व्यक्ति परेशान रहता है।
- कई बार पितृ दोष के कारण विवाह या अन्य मांगलिक कार्यों में समस्याएं आती हैं। ऐसी मान्यता है कि पितर जब तक संतुष्ट नहीं होते हैं, तब तक वे कई प्रकार की बाधाएं पैदा करते हैं। जो संकेत करता है कि आप उनको पहले तृप्त कर दें।
अमावस्या पर पितृ दोष उपाय
भौमवती अमावस्या को प्रात – गंगा नदी में स्नान करें या घर पर गंगाजल मिले पानी से स्नान करें। उसके बाद हाथ में कुश लेकर पितरों को जल से तर्पण दें। ऐसा करने से पितर तृप्त होते हैं। पितर लोक में जल की कमी होती है, इसलिए पितरों को जल से तर्पण देकर प्रसन्न किया जाता है।
पितृ दोष से मुक्ति के लिए भौमवती अमावस्या पर अपने पितरों के लिए पिंडदान करें। उनका श्राद्ध कर्म करें। ब्राह्मणों को दान दें, भोजन कराएं। कौआ, गाय, पक्षियों को भोजन दें।
पितृ दोष से मुक्ति के लिए गौ दान भी किया जाता है। (साभार: कार्तिकेय तिवारी)

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