कोरोना और ग्रहयोग

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। हमारे देश का नाम (भारत) है और (भारत) नाम मकर राशि में आता है। वैसे राजा भरत के नाम पर इस देश का नाम रखा गया था। लेकिन इस देश की विशेषताएं भी मकर राशि से मिलती-जुलती हैं। इसके लोग भी मकर राशि के स्वभाव से मिलते-जुलते हैं।
आध्यात्मिक संघर्ष की प्रतीक मकर राशि के जातक अथवा भारतवासी युक्तिसंगत कार्यों में उलझे रहते हैं। इनकी त्वचा का रंग न काला होता है न गोरा होता है। शनि की राशि वाले भारतीय लोग कड़ी मेहनत करते हैं। इनकी अपार क्षमता और तीक्ष्ण बुद्धि इन्हें वातावरण को समझने और स्वयं को वैसा ढालने में सहायता करती है। उच्चाभिलाषी और सौम्य मकर राशि के जातक सेवाभावी होते हैं। यह सब भारतीय लोगों में दिखता है।
पड़ोसी देश चीन का स्वामी गुरु बृहस्पति है जिसकी कारक राशि धनु राशि है। जैसे धनु राशि, मकर राशि के करीब वाली राशि है, वैसे ही चीन, भारत के करीब वाला देश है। कभी इसे श्भद्राश्वश् कहा जाता था।
आजकल (इस समय) राहु अपनी उच्च राशि मिथुन में गोचर कर रहे हैं, जो स्वतंत्र भारत की कुंडली का दूसरा घर और आम इंसान के मुंह और नाक का भी घर है। इस घर में चंद्र उच्च के और बृहस्पति कारक ग्रह हैं। शनि अपनी मकर राशि में हैं और ये हमारी आक्सीजन को प्रभावित करते हैं जिसका कारक ग्रह बृहस्पति है। चूंकि सांस, नाक के जरिए ही ली जाती है और आक्सीजन शरीर तक पहुंचकर जीवन प्रदान करती है। कोरोना वायरस का यह हमला वायु या सांस के जरिए मानव शरीर में पहुंचकर नुकसान पहुंचा रहा है जिसके कारण उसे जीवन तक से हाथ धोना पड़ रहा है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कोई भी वायरस राहु और शनि से प्रभावित होता है, जो ऑक्सीजन को दूषित करके हवा को विषैला बनाते हैं। राहु का संबंध धुएं और आसमान दोनों से है। ऐसे ही कोई भी वायरस हवा में कहीं भी पहुंच जाता है। शनि हवा में पैदा हुए कण हैं, जो इसको फैलाने में मदद करते हैं।
पूरे ब्रह्मांड की आक्सीजन पर बृहस्पति का स्वामित्व स्थापित है। आक्सीजन बारिश के कारण पैदा होती है जिससे पेड़-पौधे फलते-फूलते हैं और स्वच्छ वायु देते हैं जिसका कारक ग्रह चंद्र है।
14 मई 2020 को जब वक्री देवगुरु बृहस्पति का आगमन मकर राशि में होगा, तक यह बीमारी पूर्ण रूप से समाप्त होगी। उस दिन मकर राशि में नीच भंग के कारण यह बीमारी प्रभावहीन हो जाएगी। इससे पूर्व 11 मई 2020 को शनिदेव का वक्री होना इसमें सहायक होगा। ज्योतिष में केतु को इस तरह के रोगों का कारक ग्रह माना जाता है। इनकी रोकथाम एवं उपाय मुश्किल एवं परेशानी वाले होते हैं। किंतु आगामी 22 अप्रैल 2020 से बन रही ग्रह नक्षत्रों की स्थिति अनुसार कोरोना वायरस से धीरे-धीरे राहत मिलने लगेगी। यह सत्य भी सर्वविदित है कि जब मौसम का संक्रांतिकाल होता है, तब रोग एवं महामारियों के फैलने की आशंका अधिक होती है।
वर्तमान समय में भारत पर कोरोना वायरस का असर शुरू हो चुका है। चंद्र और बृहस्पति दोनों ग्रह उत्तर दिशा को केंद्रित करते हैं। भारत में इसका असर उत्तरी भारत में ज्यादा होगा, जैसे कि दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर आदि में होली के बाद इसका असर शुरू होने की आशंका बनती है।
चौत्र माह की अमावस्या से यानी कि 24 मार्च 2020 से इस कोरोना वायरस को तब और अधिक बढ़ावा मिलेगा, जब 30 मार्च से बृहस्पति अपनी नीच राशि में प्रवेश करेंगे, जहां शनिदेव पहले से ही बैठे हैं। 8वें भाव में मंगल और केतु अंगारक दोष बना रहे हैं। ग्रहों के इस प्रभाव के परिणामस्वरूप आम जनमानस अस्पताल के चक्कर लगाएंगे।
दिन के बजाय रात में कोरोना वायरस का असर ज्यादा रहेगा, लेकिन जैसे-जैसे गर्मी का मौसम बढ़ेगा तो इसके प्रभाव में कटौती होनी शुरू हो जाएगी। आगामी 13 अप्रैल 2020 से सूर्यदेव अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश करेंगे तो कोरोना वायरस का अंत शुरू होगा। इसके लिए हर व्यक्ति को अपना चंद्र और बृहस्पति शुभ स्थिति में रखने की आवश्यकता है।
कोरोना वायरस से बचाएंगे ये उपाय-
ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। ठंडे पानी को एवइड करें, गर्म या गुनगुने पानी का सेवन करें।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें- (ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।)
-प्रतिदिन सुबह गंगा जल का अपने घर में छिड़काव करें।
-शाम को घर में कपूर के ऊपर हवन सामग्री डालकर धुआं करें।
-सुबह स्नान के बाद केसर का तिलक लगाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
-घर में नवग्रह हवन करवाएं। इससे हवा में कोरोना वायरस का असर खत्म हो जाएगा तथा आप और आपका परिवार सुरक्षित रहेंगे।
-कोरोना वायरस मांसाहार के भक्षण से ही पनपा है।
इसके ज्योतिषीय संकेत-
-धनु राशि में गुरु बृहस्पति के संचार से प्रकट हो गए थे।
-जब वो नीच्चाभिलाषी मकर राशि की ओर बढ़ने को था और उसका बल निरंतर कम होता जा रहा था तभी वायरस के रूप में केतु उससे आकर मिला और गैसीय पिंड निर्बल गुरु बृहस्पति ने इसे फैलने में मदद की तथा कोरोना वायरस प्रकट हुआ।
-इस वर्ष प्रबल और रोगकारक शनि वायरस से मुक्ति देता दिखाई नहीं दे रहा है अर्थात चीन को कोरोना से सारे वर्षभर जूझना होगा।
-इस तरह चीन की मुश्किलें हल होती नहीं दिख रही हैं। जिस तरह गुरु बृहस्पति निरंतर 2 वर्ष तक निर्बल होने जा रहा है, उससे लगता है कि चीन एक व्यापक तबाही की ओर बढ़ रहा है।
-वायरस फैलने का एक कारण ग्लोबल वार्मिंग भी हो सकता है। इसकी वजह से ग्लेशियरों और ध्रुवों की हजारों फीट गहरी बर्फ की परतें पिघल रही हैं। इसके फलस्वरूप इन परतों में हजारों वर्षों से जमे हुए जीवाणु, कीटाणु और रोगाणु आजाद हो रहे हैं और ये पहले से न पहचाने हुए होकर पृथ्वी के वातावरण में फैल रहे हैं। जहां इन्हें अनुकूल जगह मिलती है, ये और ज्यादा पनपने लगते हैं।
-इससे नई और पहले न पहचानी गईं बीमारियां उपज रही हैं तथा ऐसा आगे और नहीं होगा, इसकी कोई ग्यारंटी नहीं है। आसार अच्छे नहीं हैं और ग्रहयोग भी अच्छे नहीं हैं, अतः जनसाधारण सावधान, सतर्क एवं सजग रहे।

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