समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी होती है। इस दिन से देव सो जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से 4 माह तक योग निद्रा में चले जाते हैं। इस वजह से कोई भी शुभ काम नहीं होता है। मांगलिक कार्यों को होने के लिए देवों का जागृत अवस्था में रहना जरूरी है। देव जब सो रहे होते हैं तो शुभ कार्य इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि उसका शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु सो जाते हैं तो माता लक्ष्मी, देवी पार्वती, भगवान शंकर, गणेश जी समेत अन्य देवी और देवता कब सोते हैं?
कब सोते हैं भगवान विष्णु?
ज्योतिषाचार्य डॉ. तिवारी बताते हैं कि वामन पुराण में भगवान विष्णु और अन्य देवों के शयन के बारे में पुलस्त्य जी ने नारद जी को बताया है। पुलस्त्य जी कहते हैं कि आषाढ़ पूर्णिमा के बीत जाने के बाद उत्तरायण चलता रहता है, तब भगवान श्रीहरि विष्णु शेषशय्या पर सो जाते हैं। भगवान विष्णु के सो जाने के बाद देवता, गंधर्व, देव माताएं आदि सब सो जाते हैं।
पुलस्त्य जी बताते हैं कि सूर्य के मिथुन राशि में होने और आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु के शयन की परिकल्पना की जानी चाहिए। एकादशी के दिन शेषनाग और उनके फण की रचना करके उस पर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। उसके बाद द्वादशी तिघ्थि को भगवान विष्णु को उनकी शेषशय्या पर सुलाना चाहिए।
कब सोते हैं कौन से देवी-देवता?
कामदेव
त्रयोदशी तिथि को कदम के फूलों से बनी शय्या पर कामदेव शयन करते हैं।
यक्ष
चतुर्दशी तिथि के दिन यक्ष लोग सुखद शय्या पर सोते हैं।
भगवान शंकर
पूर्णमासी यानी आषाढ़ पूर्णिमा के दिन भगवान शंकर बाघ के खाल से बनी शय्या पर शयन करते हैं।
ब्रह्मा जी
सावन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को ब्रह्म देव नीले कमल की शय्या पर सो जाते हैं।
विश्वकर्मा
देवों के शिल्पी विश्वकर्मा जी द्वितीया तिथि को शयन करते हैं. इसे अशून्यशयन द्वितीया तिथि कहते हैं।
माता पार्वती
देवी पार्वती सावन कृष्ण तृतीया तिघ्थि को शयन करती हैं।
गणेश जी
सावन कृष्ण चतुर्थी तिथि को विघ्नहर्ता श्री गणेश जी भी सो जाते हैं।
धर्मराज या यमराज
पंचमी तिथि के दिन धर्मराज शयन करते हैं।
कार्तिकेय जी
श्रावण कृष्ण षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय शयन करते हैं।
सूर्य देव
सप्तमी तिथि के दिन भगवान भास्कर भी सो जाते हैं।
मां दुर्गा
सावन कृष्ण अष्टमी की तिथि को मां दुर्गा शयन करती हैं।
माता लक्ष्मी
श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को माता लक्ष्मी शयन करती हैं।
इनके अलावा दशमी तिथि को सर्प और एकादशी तिथि को सभ्यगण सो जाते हैं. देवताओं के सो जाने के बाद से बारिश का मौसम प्रारंभ हो जाता है।
कब है देवशयनी एकादशी 2024
इस साल देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को है। देवशयनी एकादशी की तिथि 16 जुलाई को रात 08 बजकर 33 मिनट से 17 जुलाई को रात 09 बजकर 02 मिनट तक है. यह आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है।
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