धनतेरस 2025: धनिया क्यों खरीदना शुभ मना जाता है धनतेरस, जानें कैसे होगी भगवान कुबेर और समृद्धि की कृपा

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। धनतेरस यानी त्योहारों का वो खास दिन जो पूरे साल समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग सोना, चांदी, बर्तन या नई चीजें खरीदते हैं ताकि सालभर लक्ष्मी माता की कृपा बनी रहे। लेकिन क्या आपने गौर किया है कि लगभग हर घर में इस दिन एक चीज जरूर खरीदी जाती है धनिया। चाहे कोई बड़ा व्यापारी हो या आम गृहस्थ, सब लोग धनतेरस के दिन थोड़ी सी धनिया जरूर खरीदते हैं। कई जगह तो लोग इसे खरीदकर घर में पूजन के बाद संभालकर रखते हैं। अब सवाल ये उठता है कि आखिर धनतेरस पर धनिया खरीदना इतना जरूरी क्यों माना जाता है? इसके पीछे क्या परंपरा है और क्यों इसे लक्ष्मी-कुबेर से जोड़कर देखा जाता है? आइए जानते हैं इस दिलचस्प मान्यता का महत्व और इसके पीछे की कहानी. इस बारे में बता रहे हैं भोपाल स्थित ज्योतिषाचार्य रवि पाराशर।

धनिया और धन का शुभ संबंध
धनतेरस शब्द ही धन से बना है, यानी समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक. हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन जो भी वस्तु खरीदी जाती है, वह सालभर घर में सुख-समृद्धि बढ़ाती है। धनिया का नाम खुद धन शब्द से शुरू होता है, इसलिए इसे शुभ माना गया है। कहा जाता है कि धनिया खरीदने से घर में धन और अनाज की कभी कमी नहीं होती। यही वजह है कि लोग इस दिन थोड़ा सा धनिया जरूर खरीदते हैं, चाहे बाकी चीजें न लें।

धार्मिक मान्यता और कुबेर से संबंध
हिंदू परंपरा के अनुसार, धनतेरस के दिन भगवान कुबेर और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भगवान कुबेर को धन के देवता कहा गया है और माना जाता है कि उन्हें धनिया बहुत प्रिय है। इसीलिए पूजा में धनिया के दाने और इसके बीज का विशेष स्थान होता है। पूजा के बाद लोग इसे घर में तिजोरी या अनाज के डिब्बे में रखते हैं, ताकि सालभर घर में समृद्धि बनी रहे। यह भी कहा जाता है कि जिस घर में धनतेरस के दिन धनिया के बीज रखे जाते हैं, वहां धन का प्रवाह कभी नहीं रुकता।

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धनिया के बीज का प्रतीकात्मक अर्थ
धनिया सिर्फ मसाला नहीं, बल्कि समृद्धि और नए आरंभ का प्रतीक है। इसके छोटे-छोटे बीज आने वाले समय में अनगिनत पौधे बन जाते हैं, जो नए जीवन और बढ़ोतरी का संकेत हैं। यही वजह है कि इसे शुभ शुरुआत और भविष्य की उन्नति का प्रतीक माना गया है। जब आप धनतेरस के दिन धनिया खरीदते हैं, तो यह इस बात का प्रतीक होता है कि आप आने वाले साल में समृद्धि, सफलता और नई संभावनाओं का स्वागत कर रहे हैं।

पूजा में धनिया का महत्व
धनतेरस की पूजा में धनिया का उपयोग खास तरीके से किया जाता है। पूजा के समय इसे लक्ष्मी माता के चरणों में अर्पित किया जाता है और पूजा के बाद धनिया के कुछ बीज पूजा की थाली में रखकर तिजोरी या अनाज के डिब्बे में रखे जाते हैं। कई घरों में मान्यता है कि अगर सालभर उस धनिया को संभालकर रखा जाए और अगले साल की धनतेरस पर उसे खेत या गमले में बोया जाए, तो घर में सुख-समृद्धि और भी बढ़ती है।

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पारंपरिक मान्यता और आधुनिक दृष्टिकोण
पुराने समय में लोग मानते थे कि धनिया खरीदना आने वाले साल के लिए अनाज और भोजन की समृद्धि का संकेत है। आज के समय में भी, भले ही लोग इसे रीति-रिवाज मानकर करते हों, लेकिन इसके पीछे छिपा संदेश बेहद सकारात्मक है- “हर छोटी शुरुआत से बड़ी खुशहाली आती है.” धनिया का बीज इस बात की याद दिलाता है कि समृद्धि सिर्फ धन से नहीं, बल्कि परिश्रम, उम्मीद और शुभ संकल्पों से भी आती है।

धनतेरस पर धनिया खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें
इस दिन धनिया के दाने या बीज खरीदने चाहिए, पत्तियां नहीं। ऐसा माना जाता है कि बीज खरीदने से वृद्धि होती है, जबकि पत्तियां जल्दी मुरझा जाती हैं। पूजा के बाद इस धनिया को घर की तिजोरी, अनाज के डिब्बे या पूजन स्थल पर रखना चाहिए। अगले दिन यानी दीपावली पर इस धनिया को भोजन या प्रसाद में उपयोग किया जा सकता है।

धनतेरस पर धनिया खरीदना केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन के प्रति आशा और समृद्धि का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि जैसे छोटे-से बीज से पूरा पौधा जन्म लेता है, वैसे ही छोटी-छोटी शुभ शुरुआतें भी हमारे जीवन में बड़ी खुशियां लाती हैं। इसलिए इस धनतेरस, सोने-चांदी के साथ थोड़ा सा धनिया जरूर खरीदें, क्योंकि ये सिर्फ मसाला नहीं, बल्कि खुशहाली का प्रतीक है।

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