दून पुलिस ने किया तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार

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पूछताछ में पता चला है कि तीनों ऑर्गनाइज तरीके से देते थे घटनाओं को अंजाम

समाचार सच, देहरादून (संवाददाता)। दून पुलिस ने तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता चला है कि तीनों ऑर्गनाइज तरीके से घटनाओं को अंजाम देते थे। दूसरे की आईडी के सिम का उपयोग किया जाता था। एक महिला की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। टीना गुप्ता के खाते से चार लाख 45 हजार रुपए साइबर ठगों ने उड़ा दिए थे। दून से गई विशेष टीम ने झारखंड, बंगाल, दिल्ली और अन्य राज्यों में संयुक्त रूप से कार्रवाई की और आरोपियों की गिरफ्तारी की। आरोपियों के पास से 47 मोबाइल सिम, नौ मोबाइल और 53 हजार नकद रुपए बरामद किए गए हैं।

पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून अरुण मोहन जोशी ने आज अपने कार्यालय मे पत्रकारों से वार्ता करते हुये बताया की मकान नं. 02 तिरूपति एन्क्लेव शक्तिविहार सहस्त्रधारा रोड देहरादून निवासी अजय कुमार गुप्ता की पुत्री टीना गुप्ता ने थाना रायपुर में लिखित तहरीर देते हुये बताया की 18 फरवरी 2020 को उनके पास एक व्यक्ति द्वारा कॉल कर खुद को पेटीएम कम्पनी का नुमाइन्दा बताते हुए पेटीएम की केवाईसी करवाने हेतु एक साफ्टवेयर इन्स्टाल करने के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी तथा उसके पश्चात उक्त व्यक्ति द्वारा उनके एकाउण्ट व डेबिट कार्ड की जानकारी प्राप्त करते हुए उनके खाते से लगभग 04 लाख 45 हजार रूपये निकाल लिये। टीना गुप्ता द्वारा दी गयी तहरीर के आधार पर थाना रायपुर में तत्काल सम्बन्धित धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया गया। ऑनलाइन ठगी के बढते हुए मामलों तथा इससे लोगों के जीवनभर की जमा पूंजी लूट लेने वाले अपराधियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करने तथा इस प्रकार के अपराधों की गम्भीरता के दृष्टिगत पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा निरीक्षक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व एक डैडीकेटेड कोर टीम का गठन किया गया तथा उन्हें स्पष्ट निर्देश दिये कि प्रत्येक दशा में इस प्रकार के संगठित अपराधों में लिप्त व्यक्तियों कि गिरफ्तारी सुनिश्चित करें तथा जब तक उक्त अभियुक्तों की गिरफ्तारी न हो तब तक वापस न आयें। गठित टीम में सर्विलांस तथा फील्ड की अच्छी जानकारी रखने वाले अधिकारी, कर्मचारियों को नियुक्त किया गया था।

टीम ने टीना गुप्ता द्वारा उपलब्ध कराये गये नम्बरों के सम्बन्ध में सर्विलांस के माध्यम से जानकारी प्राप्त की गयी तो उक्त नम्बरों की अन्तिम लोकेशन झारखण्ड के जमतारा जिले में होनी ज्ञात हुई, परन्तु उनकी आईडी जनपद 24 परगना पश्चिमी बंगाल की पायी गयी. इसी दौरान सर्विलांस टीम को अभियुक्तों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे कुछ फर्जी पेटीएम वॉलेट की जानकारी प्राप्त हुई. जिनकी आईडी का लखनऊ तथा दिल्ली की होना ज्ञात हुआ। जिस पर गठित पुलिस टीम को तत्काल अलग-अलग झारखण्ड, पश्चिमी बंगाल, दिल्ली तथा लखनऊ के लिये रवाना किया गया तथा सर्विलांस के माध्यम से उक्त नम्बरों पर लगातार सतर्क दृष्टि रखी गयी। उक्त अलग-अलग टीमों द्वारा सभी सम्भावित स्थानों पर स्थानीय पुलिस से समन्वय स्थापित करते हुए इस प्रकार के अपराधों में लिप्त पूर्व अपराधियों के सम्बंध में जानकारी एकत्रित की गयी तथा उक्त सिमों की आईडी से प्राप्त पतों पर दबिश देकर तस्दीक किया गया, किन्तु पुलिस टीमों को उसमे कोई खास सफलता प्राप्त नहीं हुई तथा ज्यादातर पते फर्जी पाये गये। इसी बीच सर्विलांस टीम को अभियुक्तों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे एक नये नम्बर की जानकारी प्राप्त हुई, जो शरीद पुत्र चिराउद्दीन निवासी ग्राम बदिया थाना करौं जनपद देवघर झारखण्ड के नाम पर रजिस्टर्ड होना ज्ञात हुआ। जिस पर झारखण्ड रवाना हुई पुलिस टीम द्वारा तुरन्त देवघर पहुंचकर पते के सम्बन्ध में गोपनीय रूप से जानकारी प्राप्त की गयी तथा उक्त व्यक्ति की जानकारी हेतु स्थानीय मुखबिरों को सक्रिय किया गया। इसी बीच पुलिस टीम को स्थानीय मुखबिर के माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई कि शरीद नाम का व्यक्ति अपने दो अन्य साथियों के साथ बदिया में ही मौजूद है तथा कहीं जाने की फिराक में है। जिस पर पुलिस टीम द्वारा मुखबिर की निशानदेही पर शरीद अन्सारी पुत्र सिराउद्दीन निवासी ग्राम बदिया थाना करौं, जनपद देवघर, झारखण्ड उम्र 28 वर्ष को उसके दो अन्य साथियों तनवीर आलम पुत्र इतरूद्दीन, निवासी ग्राम बदिया थाना करौं, जनपद देवघर, झारखण्ड उम्र 19 वर्ष तथा नबुवत अन्सारी पुत्र स्व. इस्माइल, निवासी ग्राम बदिया थाना करौं, जनपद देवघर, झारखण्ड उम्र 25 वर्ष के साथ बदिया से गिरफ्तार किया गया। उनके कब्जे से ठगी में इस्तेमाल किये गये मोबाइल फोन, सिमकार्ड तथा नकदी बरामद हुई। तीनों अभियुक्तों को न्यायालय देवघर के समक्ष पेश कर अभियुक्त को ट्रांजिट रिमाण्ड पर देहरादून लाया गया।

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पूछताछ में गैंग के सरगना शरीद अन्सारी ने बताया कि वो पूर्व में पश्चिम बंगाल के आसनसोल जिले के होटल रायल में कार्य करता था। उसके गांव बदिया व आस-पास के इलाके बस्कुपी तथा मदनकट्टा के अधिकतर लोग आनलाइन ठगी के मामलों में संलिप्त हैं। जिनके रहन-सहन को देखकर उसने भी आनलाइन ठगी के माध्यम से लोगों के साथ ठगी करने की योजना बनाई। वो ज्यादा पढा लिखा नहीं था इसलिये उसने अपने पडोस में रहने वाले अपने दो साथियों नबुवत अन्सारी व तनवीर आलम को अपनी इस योजना के बारे में बताते हुए उन्हें अपने साथ शामिल कर लिया। नबुवत अन्सारी 12 वीं तक पढा-लिखा है तथा उसके पास एडवांस कम्प्यूटर कोर्स का डिप्लोमा भी है एवं तनवीर आलम पूर्व में कोलकता के होटलों में कार्य करता था तथा पिछले कुछ समय से बेरोजगार था। ठगी के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले सिमों को वो पश्चिम बंगाल के 24 परगना, मुर्शिदाबाद व अन्य जनपदों से लाते थे। उक्त स्थानों पर फर्जी सिम उन्हे आसानी से उपलब्ध हो जाते थे। वहां से लाये गये सिमों में से कुछ को वो इस्तेमाल कर लेते थे तथा कुछ को गांव के ही अन्य लोगों को ऊंचे दामों में बेच देते थे। उनके द्वारा अब तक कई लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया गया है। वे लोगों को कॉल करके पेटीएम की केवाईसी करवाने या अन्य चीजों का प्रलोभन देकर उनसे पूर्व में ही उनके द्वारा बनाये गये फर्जी पेटीएम वालेट में उसके एवज में 01 रूपये ट्रांसफर करवाकर इस दौरान उनके मोबाइल में प्राप्त ओटीपी की जानकारी प्राप्त कर लेते थे। ओटीपी प्राप्त होते ही वे उनके खातो से समस्त धनराशी को अपने फर्जी वालेट में स्थानान्तरित कर उसे तत्काल् उनके द्वारा बनाये गये अन्य अलग-अलग पेटीएम वालेटों में ट्रांसफर कर लेते हैं, पूर्व में बनाये गये फर्जी वालेट में वे किसी प्रकार की धनराशि नहीं छोडते हैं, क्योंकि शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत करने पर पुलिस द्वारा सर्वप्रथम उक्त वालेट को फ्रीज कर दिया जाता है। अलग-अलग पेटीएम वालेट में ट्रांसफर की गयी धनराशि को उनके द्वारा बैंको, पोस्ट आफिस के खातों में डालकर उसकी निकासी की जाती है। उनके द्वारा ऐसे व्यक्तियों के बैंक खातों में धनराशि डाली जाती है जो बेहद गरीब या उम्रदराज हों तथा आसानी से पैसों के लालच में उनकी बातों में विश्वास कर लें। ऐसे व्यक्तियों को वे उनके खातों में आये पैसों का 10 से 15 प्रतिशत हिस्सा देते हैं, शेष धनराशि को उनके द्वारा निकाल लिया जाता है।

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धोखाधडी से प्राप्त की गयी धनराशि को उनके द्वारा छोटी-छोटी मात्रा में अलग-अलग बैंक खातों में डलवाया जाता है क्योंकि एक साथ बडी धनराशि को किसी के खाते में डलवाने पर उन्हे उक्त खाता धारक को धनराशि का 30 से 40 प्रतिशत तक हिस्सा देना पडता है। देहरादून में की गयी ठगी की घटना में उनके द्वारा लगभग 04 लाख 45 हजार रूपये की धनराशि को अपने फर्जी वालेट में ट्रांसफर किया गया था। जिसे उनके द्वारा तत्काल पूर्व में बनाये गये 85 अन्य पेटीएम वालेटों में छोटी-छोटी धनराशि के रूप में ट्रांसफर किया गया।

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