थकान, मोटापा भी हो सकता है लीवर सिरोसिस का संकेत

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समाचार सच. स्वास्थ्य डेस्क। लीवर शरीर में पित्त उत्पादन करने, आहार को पचाने समेत अन्य महत्वपूर्ण कार्य करता है। लेकिन जब यह ठीक से कार्य नही कर पाता है, तो कई तरह की दिक्कतें होती है। लिवर सिरोसिस भी ऐसी एक गंभीर समस्या है। इसमें लिवर के टिश्यू क्षतिग्रस्त होने लगते है और लिवर की बनावट भी आसामान्य होने लगती है, वह सिकुड़ने लगता है। यह लिवर के कैंसर के बाद लिवर की दूसरी सबसे गंभीर बीमारी है, जिसमें लिवर का ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय बचता है। वर्ष 2010 में दुनिया भर में 10 लाख मौतों की वजह भी लिवर की समस्या बनी। यह ऐसा आंकड़ा है जो दुनियाभर में उस साल होने वाली मौतों का 2 फीसदी कारण था।
इन वजह से होती है समस्या – लंबे समय तक शराब का सेवन करना।

  • हैपेटाइटिस सी की वजह से लिवर क्षतिग्रस्त हो सकता है जिसकी वजह से सिरोसिस हो सकता है।
  • लिवर में बहुत ज्यादा फैट का जमा होना।
  • पित्त नली का कैंसर, पैनक्रियाज का कैंसर पित्त की नली में ब्लाक कर सकता है, जो सिरोसिस की वजह बन सकता है।
    सामान्य लक्षण –जिस किसी व्यक्ति के सिरोसिस से पीड़ित होने का पता चलता है सामान्यतः लिवर तब तक ठीक न होने की स्थिति तक पहुंच चुका होता है। अंतिम चरणों में दिखाई देने वाले आम लक्षणों में निम्नलिखित शामिल होते हैं।
  1. थकावट
  2. खुल घावों के उपचार में देरी और खून निकलने या त्वचा में आसानी से रगड़ लगने की प्रवृत्ति।
  3. त्वचा में बार-बार खुजली होना।
  4. पीलिया के लक्षण जैसे त्वचा की रंगत का पीला पड़ना और आंखों के सफेद हिस्से का पीलापन।
  5. त्वचा की स्तर पर नसें मकड़ी के जाल जैसी नजर आती हैं।
  6. पैरों के निचले हिस्से में सूजन।
  7. हथेली का लाल नजर आना।
  8. भूख में कमी।
  9. पेट में परेशानी और जी मिचलाना या उल्टी आने जैसा लगना।
  10. असामान्य रूप से वजन का बढ़ना या कम होना।
  11. भ्रम, सुस्ती और बोलने में अस्पष्टता क्योंकि रक्त से विषाक्त पदार्थ नहीं निकल पाते हैं और मस्तिष्क में पहुंच जाते हैं।
  12. पुरूषों में हार्मोन कम बनना।
  13. पाचन के बाद गहरे रंग का मल आनाफ।
  14. द्रव्य के इकट्ठे होने के कारण पेट फूलना।
  15. दिल की बढ़ती धड़कन के चलते सांस लेने में तकलीफ और मांसपेशियों में कमजोरी।
  16. ग्रासनली के आधे निचलते हिस्से में सूजन आना।
  17. लिवर खराब होने के चलते अतिरिक्त अमोनिया एकत्रित होने लगता है जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है।
  18. लिवर सिरोसिस से जुड़ी परेशानियों में उच्च उच्च रक्तचाप भी शामिल होती है।
    इसके अलावा पेट का जरूरत से ज्यादा फूलना, रक्त स्राव संक्रमण में बढ़ोत्तरी, खराब पाचन जिससे कुपोषण हो जाता है। हैपेटिक एंसेफैलोपैथी पीलिया, हड्डी का कमजोर होना, लिवर कैंसर और संभावित मल्टीपल ऑर्गन फेलियर, कई अंगों का काम करना बंद कर देना जैसी परेशानियां भी होती है।
    लिवर सिरोसिस: महत्वपूर्ण तथ्यः जो लोग नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की बीमारी से ग्रसित हैं। उन्हें अपना वजन घटाना चाहिए और ब्लड शुगर लेवर को नियंत्रित रखना चाहिए। हेपेटाइटिस स्टेरॉयड या एंटीवायरल ड्रग्स लिवर सेल को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं।
    विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो लिवर की परेशानी भारत में होने वाली मौतों को 10वां प्रमुख कारण हैं। देश में करीब 25 करोड़ लोग लिवर की बीमारी से ग्रस्ति हैं। फैटी लिवर के कारण मोटापा, शराब से बड़ा लिवर सिरोसिस का कारण बन चुका है। डायबिटीज के मरीजों में भी लीवर सिरोसिस का खतरा ज्यादा होता है, साल में एक बार जांच करानी चाहिए।
    बचाव के लिए जानना जरूरी:
  • मोटापे से निपटने के लिए ऐसे वजन घटनो के कार्यक्रमों को अपनाया जाए जो शरीर में ग्लूकोज के स्तर पर विपरीत असर न डाले।
  • यदि शरीर में हैपेटाइटिस से प्रभावित होने के संकेत मिलते हैं, तो तुरंत लिवर को नुकसान पहुंचाने से बचाने के लिए उपचार शुरू कीजिए।
  • पित्त के स्राव में प्राइमरी बाइललैरी कोलैनजाइटिस जैसी समस्याओं का इलाज दवा के लिए साथ प्रभावी ढंग से किया जा सकता है और इसका पता चलने के बाद जितनी हो सके इसे शुरू किया जाना चाहिए।
  • पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा से आहार संबंधी कमियों का जमकर मुकाबला किया जा सकता है, क्योंकि कुपोषण हड्डी के घन्त्व की हानि करने के साथ ही त्वचा की संवेदनशीलता या लगातार थकान जैसी परेशानियों को बढ़ाता है।
  • शरीर में द्रव्य निर्माण से निपटने के लिए कम सोडियममुक्त आहार का इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि द्रव्य का जमाव अधिक तीव्र है तो यकृत के भीतर शिरा में दबाव कम करने के लिए सर्जरी की जा सकती है।
  • कुछ दवाएं जो ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करती हैं। पेट की नसों में दबाव निर्माण को कम कर सकती हैं और उन स्थानों पर तनाव को दूर कर सकती है। संक्रामक रोगों के लिए एंटीबायोटिक उपचार, कैंसर के जाखिमों की नियमित निगरानी और विषाक्त पदार्थों के एकत्रित होने को रोकने वाली दवाएं भी मदद करती हैं।
  • आहार में पर्याप्त फल और सब्जियां, फलियां, पोल्ट्री या मछली से मिलने वाला लीन प्रोटीन शामिल है। कच्चा सी फूड बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए। (हर्बल हेल्थ)

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