पांचवीं नवरात्रि में संतान की अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए की जाती है स्कंदमाता की पूजा

खबर शेयर करें

समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। 13 अपै्रल शनिवार को चैत्र नवरात्रि की पंचमी है। इस तिथि पर स्कंदमाता की पूजा करने का विधान बताया गया है। संतान की लंबी उम्र और अच्छी सेहत की कामना से नवरात्रि में देवी के इस पांचवे रूप की पूजा होती है।

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करने वाली हैं। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।

शिव और पार्वती के दूसरे और षडानन (छह मुख वाले) पुत्र कार्तिकेय का एक नाम स्कंद है क्योंकि यह सूर्य मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसलिये इनके चारों ओर सूर्य जैसा अलौकिक तेजोमय मंडल दिखाई देता है। स्कंदमाता की उपासना से भगवान स्कंद के बाल रूप की भी पूजा होती है।

यह भी पढ़ें -   हल्द्वानी की प्राचीन रामलीलाः विभीषण शरणागति, रामेश्वर स्थापना, अंगद-रावण संवाद का कलाकारों ने किया मंचन

देवी स्कंदमाता का स्वरूप
मां के इस रूप की चार भुजाएं हैं। इन्होंने अपनी दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद अर्थात कार्तिकेय को पकड़ा हुआ है। निचली दाएं भुजा के हाथ में कमल का फूल है। बायीं ओर की ऊपरी भुजा में वरद मुद्रा है और नीचे दूसरे हाथ में सफेद कमल का फूल है। सिंह इनका वाहन है।

यह भी पढ़ें -   १० अक्टूबर २०२४ बृहस्पतिवार का पंचांग, जानिए राशिफल में आज का दिन कैसा रहेगा आपका...

पूजा का महत्व
नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा विशेष फलदायी होती है। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होना चाहिए, जिससे कि ध्यान वृत्ति एकाग्र हो सके। यह शक्ति परम शांति और सुख का अनुभव कराती है। मां की कृपा से बुद्धि में वृद्धि होती और ज्ञान रूपी आशीर्वाद मिलता है। सभी तरह की व्याधियों का भी अंत हो जाता है।

मां स्कंदमाता का मंत्र-
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

Ad Ad Ad Ad Ad

सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -

👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

👉 फेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज़ लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करें

हमसे संपर्क करने/विज्ञापन देने हेतु संपर्क करें - +91 70170 85440