समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। सूर्य हर माह में राशि का परिवर्तन करता है, वही इसलिए कुल मिलाकर वर्ष में बारह संक्रांतियां होती हैं। लेकिन दो संक्रांतियां सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती हैं। इसके अलावा एक मकर संक्रांति और दूसरी कर्क संक्रांति सूर्य जब मकर राशि में जाता है तब मकर संक्रांति होती है। वही मकर संक्रांति से अग्नि तत्व की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से जल तत्व की। सूर्य का किसी राशि विशेष पर भ्रमण करना संक्रांति कहलाता है। इस समय सूर्य उत्तरायण होता है अतः इस समय किए जप और दान का फल अनंत गुना होता है। वही मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है


मकर संक्रांति का ज्योतिष से क्या सम्बन्ध है?
सूर्य और शनि का सम्बन्ध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण है, कहते हैं इसी त्यौहार पर सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं आम तौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है इसलिए यहां से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। अगर कुंडली में सूर्य या शनि की स्थिति खराब हो तो इस पर्व पर विशेष तरह की पूजा से उसको ठीक कर सकते हैं। जहां पर परिवार में रोग कलह तथा अशांति हो वहां पर रसोई घर में ग्रहों के विशेष नवान्न से पूजा करके लाभ लिया जा सकता है।
मकर संक्रांति में क्या करें?
-पहली होरा में स्नान करें,सूर्य को अर्घ्य दें
-श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें, या गीता का पाठ करें
-नए अन्न, कम्बल और घी का दान करें
-भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनायें
-भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें
-सूर्य से लाभ पाने के लिए क्या करें?
-लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें
-सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें
-मंत्र होगा – ऊँ हृां हृीं हृौं सः सूर्याय नमः
-लाल वस्त्र, ताम्बे के बर्तन तथा गेंहू का दान करें
-संध्या काल में अन्न का सेवन न करें
शनि से लाभ पाने के लिए क्या करें?
-तिल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें
-शनि देव के मंत्र का जाप करें
-मंत्र होगा -ऊँ प्रां प्री प्रौं सः शनैश्चराय नमः
-घी, काला कम्बल और लोहे का दान करें
-दिन में अन्न का सेवन न करें

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