उत्तराखंड में पीपीपी मोड पर संचालित सरकारी अस्पतालों का संचालन वापस लेगी सरकार

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समाचार सच, देहरादून। उत्तराखंड में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर संचालित सरकारी अस्पतालों को लेकर सरकार ने अहम फैसला लिया है। स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में आ रही शिकायतों और लगातार उठ रहे सवालों के मद्देनजर, सरकार ने इन अस्पतालों को पीपीपी मोड से हटाकर अपने नियंत्रण में लेने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, 30 दिसंबर 2024 तक प्रदेश के सभी पीपीपी मोड पर संचालित अस्पतालों को वापस ले लिया जाएगा।

2017 में शुरू हुआ था पीपीपी मॉडल
साल 2017 में राज्य सरकार ने वर्ल्ड बैंक द्वारा पोषित उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत 9 सरकारी अस्पतालों को पीपीपी मोड पर संचालित करने का निर्णय लिया था। टिहरी, पौड़ी और नैनीताल जिलों के तीन-तीन अस्पतालों का चयन किया गया था।

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हाल ही में, सरकार ने टिहरी गढ़वाल के जिला चिकित्सालय बौराड़ी समेत बिलकेश्वर और देवप्रयाग के दो अन्य अस्पतालों को पीपीपी मोड से वापस ले लिया। हालांकि, अभी भी पौड़ी और नैनीताल जिलों के छह अस्पताल पीपीपी मॉडल पर संचालित हो रहे हैं, जिन्हें 30 दिसंबर तक सरकार के अधीन कर दिया जाएगा।

डॉक्टरों की संख्या बढ़ने से बदला फैसला
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि 2017 में राज्य में डॉक्टरों की भारी कमी थी, जिसके चलते पीपीपी मोड पर अस्पतालों का संचालन शुरू किया गया था। लेकिन वर्तमान में राज्य में डॉक्टरों की संख्या में वृद्धि हुई है, और मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी बढ़ी है। इसके अलावा, प्रदेश में लगभग 200 छात्र पीजी कर रहे हैं। इन परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने फैसला किया है कि सभी अस्पताल अब राज्य सरकार द्वारा संचालित किए जाएंगे।

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वर्ल्ड बैंक परियोजना का कार्यकाल समाप्त
वर्ल्ड बैंक द्वारा पोषित इस प्रोजेक्ट का कार्यकाल 31 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। इसी के तहत, पौड़ी और नैनीताल जिलों के अस्पतालकृजिला चिकित्सालय पौड़ी, संयुक्त चिकित्सालय पाबौ, संयुक्त चिकित्सालय घिण्डियाल, रामदत्त जोशी संयुक्त चिकित्सालय रामनगर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भिकियासैंण और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरोंखालकृअब सरकार के सीधे नियंत्रण में आएंगे।

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