मैं तो इतनी दूर हूं मेरे माता-पिता जी के लिए तुम ही बहू और तुम ही बेटा हो…

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समाचार सच, हल्द्वानी। 20 कुमाऊं को वर्ष 2011 में जम्मू कश्मीर में तैनात किया गया और उनकी जिम्मेदारी नियंत्रण रेखा के पास थी। मेजर बी एस रौतेला ने बताया कि क्योंकि पलटन काफी लंबे क्षेत्र में फैली थी। तो जगह-जगह पर पोस्ट थे। हवलदार जयपाल सिंह अधिकारी और लांस नायक देवेंद्र सिंह एक ही पोस्ट में तैनात थे। दिनांक 30 जुलाई 2011 को अपराहन उनके पोस्ट में आतंकवादियों ने तीन ओर से धावा बोल दिया। जिसका हवलदार जयपाल और उनके दस्ते ने निर्भीकता पूर्वक करारा जवाब दिया और आतंकवादियों के हमले को नाकाम कर दिया। लेकिन आतंकवादियों द्वारा किए गए फायर और विस्फोटों के दौरान हवलदार जयपाल सिंह और लांस नायक देवेंद्र सिंह बुरी तरह घायल हो गए। लेकिन उन्होंने अंतिम सांस तक दृढ़तापूर्वक, कर्तव्यनिष्ठा, अदम्य साहस के साथ आतंकवादियों का सामना किया। लेकिन बुरी तरह घायल होने के कारण वीरगति को प्राप्त हो गए।

समाचार सच परिवार शहीद हवलदार जयपाल सिंह अधिकारी और लांस नायक देवेंद्र सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

हवलदार जयपाल सिंह अधिकारी: हवलदार जयपाल सिंह अधिकारी का जन्म दिनांक 8 मई 1976 को अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट तहसील के ग्राम असगोली में हुआ। इनके पिता स्वर्गीय श्री बिशन सिंह और माताजी श्रीमती बाला देवी थे। गांव के स्कूल से ही कक्षा 10 पास करने के बाद जयपाल रानीखेत आ गए। वर्ष 1994 में कक्षा 12 उत्तीर्ण करने के बाद वे प्रथम प्रयास में ही राष्ट्र की जानी-मानी रेजीमेंट कुमाऊँ रेजीमेंट में भर्ती हो गए। जयपाल एक अनुशासित, कर्तव्यनिष्ठ और मेहनती सैनिक थे। शहीद जयपाल सिंह अधिकारी का परिवार वर्ष 2008 से हल्द्वानी में रहता है। उनका एक पुत्र दिव्यांश और एक पुत्री कीर्ति है।

लांस नायक देवेंद्र सिंह: लांस नायक देवेंद्र सिंह का जन्म पिथौरागढ़ जिले के डीडीहाट तहसील के ग्राम सिगाली में श्री होशियार सिंह और श्रीमती तुलसी देवी के घर में हुआ। अपने गांव के स्कूल सिगाली से कक्षा 10 उतीर्ण करते ही देवेंद्र कुमाऊं रेजीमेंट में भर्ती हो गए। प्रशिक्षण पूरा होने पर उन्हें 20 कुमाऊं में स्थानांतरित किया गया। अप्रैल 2003 में उनका विवाह संपन्न हुआ। उनके दो पुत्र युवराज और नैतिक पैदा हुए। उनकी वीर नारी बताती हैं कि आखरी बात 27 जुलाई 2011 को हुई “मैं तो इतनी दूर हूं मेरे माता-पिता जी के लिए तुम ही बहू और तुम ही बेटा हो अतः उनका ध्यान रखना।”

इतना कहकर उनका फोन कट गया। यह शब्द अभी भी मेरे कानों में गूंजता है। मेरे पति की इच्छा थी कि उनके बेटे सेना में अफसर बने और मैं उनके सपने को साकार करने के लिए प्रयासरत हूं। वर्तमान में उनका परिवार खटीमा में निवासरत है। बड़ा पुत्र युवराज कक्षा 10 और छोटा पुत्र कक्षा 8 में अध्ययनरत है।

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