यदि इस बचाव कार्य में देरी होती तो बहुत से लोगों की जान चली जाती…

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समाचार सच, हल्द्वानी। जनपद नैनीताल के सुदूर गांव चंद्रकोट बेतालघाट निवासी पूर्व सैनिक लीलाधर डौर्वी और श्रीमती भवानी देवी के 6 बच्चों में से सबसे बड़े पुत्र खेमचंद्र ने कक्षा 12 तक की शिक्षा बेतालघाट प्राथमिक तथा राजकीय इंटर कॉलेज से उत्तीर्ण करते ही 6 दिसंबर 1996 को कुमाऊँ रेजीमेंट में भर्ती हो गए। मेजर बी एस रौतेला ने बताया कि प्रशिक्षण पूरा करने पर उन्हें 20 कुमाऊं में भेजा गया। वर्ष 2014 में उन्हें 20 कुमाऊं से 50 राष्ट्रीय राइफल्स में भेजा गया।

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सितंबर 2014 में जम्मू कश्मीर में भयंकर बाढ़ आई। इस वक्त उनकी पलटन भी नजदीक में तैनात थी। खेमचंद्र ने स्वेच्छा से इस जोखिम भरे काम के लिए जाने की गुहार लगाई। 5 सितंबर 2014 झेलम नदी के किनारे बसे गांव के निचले स्तर में होने के कारण बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हो गया।

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नायक खेमचंद्र के दल को काकापुर और शंबूरा गांव में से लोगों को बचाने की जिम्मेदारी दी गई। नायक खेमचंद्र अपनी जान की परवाह ना करते हुए उपरोक्त गांव में ऐसे लोगों की जिंदगी बचाने में लग गए। यदि इस बचाव कार्य में देरी होती तो बहुत से लोगों की जान चली जाती। रात को 0030 बजे नायक खेमचंद्र नाव लेकर गए और कुछ लोगों को निकाल कर ले आए। उसके बाद जब वे गांव में फंसे लोगों को बचाने के लिए दोबारा जा रहे थे तो नदी के तेज बहाव में उनकी नाव डूबने से खेमचंद्र ने अपने कर्तव्य को निभाते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। जिसके फलस्वरूप उन्हें मरणोपरांत सेना मेडल से अलंकृत किया गया।

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नायक खेमचंद्र की वीर नारी श्रीमती प्रेमा देवी जी अपनी पुत्री साक्षी और पुत्र आदित्य के साथ रामनगर में रहती हैं। वह चाहती है कि दोनों बच्चे भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में जाएं और देश सेवा करें।

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