अगर आपको हमेशा रहती है खिच खिच? तो जान लीजिए इसके कारण और क्या है उपाय

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समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। लगातार खांसी शर्मनाक साबित हो सकती है खासकर तब, जब लोगों को लगे कि आप कोविड-19 से पीड़ित हैं। बार-बार खांसी आने से आप शारीरिक रूप से थक भी सकते हैं, नींद में बाधा आ सकती है और मूत्र संबंधी समस्या उत्पन्न हो सकती है। अब ऐसे रोगियों की जांच की जा रही है जिनकी पसलियों में बार-बार जोर से खांसने की वजह से उत्पन्न तनाव के कारण फ्रैक्चर हो गया था। कई बार खांसी इतनी देर तक क्यों बनी रहती है? यहां कुछ सबसे आम कारण दिये गए हैं और संकेत के बारे में बताने का प्रयास किया गया है, जब आपको किसी और गंभीर बीमारी के लिए जांच करवानी चाहिए।

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हम क्यों खांसते हैं?
खांसी की प्रतिक्रिया एक महत्वपूर्ण सुरक्षात्मक तंत्र है। हवा को बलपूर्वक बाहर निकालने से हमारे फेफड़े साफ होते हैं और उन्हें जलन, संक्रमण और दम घुटने के जोखिम से सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। कुछ लोग जिन्हें दीर्घकालिक पुरानी बीमारियां हैं (जैसे कि ‘क्रोनिक ब्रोंकाइटिस या ब्रोन्काइक्टेसिस) उन्हें अक्सर खांसी आती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि फेफड़ों के सीलिया (छोटी बाल जैसी संरचनाएं जो बलगम, मलबे और कीटाणुओं को हटाती हैं) अब फेफड़ों को साफ करने का काम नहीं करते हैं। गीली या ‘उत्पादक’ खांसी का मतलब है बहुत सारा बलगम निकलना। खांसी सूखी या ‘अनुत्पादक’ भी हो सकती है। ऐसा तब होता है जब वायुमार्ग, गले और ऊपरी अन्नप्रणाली (एसोफेगस) में खांसी के रिसेप्टर्स अत्यधिक संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे साफ करने के लिए कोई बलगम न होने पर भी खांसी शुरू हो जाती है।

खांसी के कारण
जब खांसी वयस्कों में आठ सप्ताह से अधिक या बच्चों में चार सप्ताह से अधिक समय तक रहती है, तो उसे दीर्घकालिक माना जाता है। तीन सबसे आम कारण हैं

-नाक के पीछे से बलगम गले में टपकता है
-अस्थमा
-पेट से एसिड रिफ्लक्स।

ये अक्सर एक साथ होते हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि दीर्घकालिक खांसी वाले 23 फीसदी लोगों में इनमें से दो स्थितियां थीं, और तीन फीसदी लोगों में तीनों स्थितियां थीं। यह समझ में आता है – वायुमार्ग की एलर्जी से ग्रस्त लोगों में अस्थमा और बुखार (एलर्जिक राइनाइटिस) दोनों विकसित होने की संभावना अधिक होती है। यह बुखार संभवतः नाक के पीछे से गले में बलगम के लगातार टपकने से होता है। लंबे समय तक जारी रहने वाली जोरदार खांसी रिफ्लक्स पैदा कर सकती है जो संभवतः आगे और खांसी का कारण बन सकती है। पुरानी खांसी दो अन्य स्थितियों का प्राथमिक लक्षण है, हालांकि इनका निदान करना अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ये दो लक्षण हैं- खांसी वाला अस्थमा और ‘ईसिनोफिलिक ब्रोंकाइटिसश्। दोनों ही स्थितियों में वायुमार्ग में सूजन होती है। हालांकि, वे वेंटोलिन (अस्थमा के निदान के लिए मानक क्लिनिक परीक्षण) से तेजी से ठीक नहीं होते हैं।

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श्वसन संक्रमण के बाद खांसी
वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद भी लंबे समय तक खांसी बनी रह सकती है। जुकाम से पीड़ित बच्चों में, एक समीक्षा में पाया गया कि 90 फीसदी से अधिक बच्चों को अपनी खांसी से मुक्त होने में 25 दिन लगे। संक्रमण के बाद, सूजन वाले वायुमार्ग और अति-संवेदनशील खांसी रिसेप्टर्स के कारण खांसी की अतिसंवेदनशीलता विकसित हो सकती है। यहां तक घ्घ्कि मामूली परेशान करने वाली चीजें भी खांसी की प्रतिक्रिया को उत्पन्न कर सकती हैं। संक्रमण के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया बलगम को अधिक चिपचिपा बनाती है जिससे काम के बोझ से लदी और ठीक हो रही सीलिया के लिए इसे साफ करना अधिक कठिन होता है। हवा में मौजूद एलर्जी उत्पन्न करने वाले तत्व ऊपरी वायुमार्ग की क्षतिग्रस्त परत में भी आसानी से प्रवेश कर सकते हैं। यह एक अनुपयोगी ‘प्रतिक्रिया चक्रश् को उत्पन्न कर सकता है जो संक्रमण के बाद शरीर के उबरने की गति को धीमा कर देता है। अत्यधिक और अनुपयोगी खांसी से उबर रहे सीलिया और अधिक थक जाते हैं और वायुमार्ग की परत में जलन होती है।

लगातार खांसी का इलाज क्या है?
लगातार खांसी वाले लोग जो अन्यथा स्वस्थ हैं, वे एंटीबायोटिक्स का अनुरोध कर सकते हैं और उन्हें इसे दिया जा सकता है। लेकिन ये शायद ही कभी आपकी खांसी की अवधि को कम करते हैं, क्योंकि खांसी का प्राथमिक कारण जलन है, संक्रमण नहीं। वायुमार्ग से चिपचिपे बलगम को हटाने के लिए सबसे प्रभावी उपचार सरल हैंरू नाक में डालने वाला सलाइन स्प्रे का इस्तेमाल, भाप लेना और गले की खराश दूर करने वाले स्प्रे का इस्तेमाल करना। शहद भी गले की जलन और खांसी को कम करने के लिए लिया जाता है। खांसी की दवाई की प्रभावशीलता कम स्पष्ट है क्योंकि इन मिश्रणों के संभावित दुष्प्रभाव हैं, इसलिए इनका उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए। कभी-कभी, खांसी जो ठीक नहीं होती है, वह फेफड़ों के कैंसर या असामान्य संक्रमण सहित किसी गंभीर स्थिति का संकेत हो सकती है। लेकिन सौभाग्य से यह आम बात नहीं हैं। इस तरह की आशंका को दूर करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के खांसी संबंधी दिशा-निर्देश में कहा गया है कि चिकित्सकों के पास लंबे समय से खांसी आने की समस्या के साथ पहुंचने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए छाती का एक्स-रे और स्पाइरोमेट्री (फेफड़ों के आकार और प्रवाह की जांच) कराने की सलाह दी जाती है।

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आपको तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए, अगर आपको खांसी के अलावा ये समस्याएं हैं-
-खांसी में खून आना
-बहुत अधिक कफ बनना
-बहुत कम सांस लेना, खासकर आराम करते समय या रात में -निगलने में कठिनाई होना
-वजन कम होना या बुखार होना
-बार-बार निमोनिया होना
-45 वर्ष से अधिक उम्र के धूम्रपान करने वाले व्यक्ति जिन्हें नये तरह की खांसी हो

क्या होगा अगर कोई स्पष्ट कारण न हो?
कभी-कभी पूरी तरह से जांच और उपचार के बावजूद खांसी बनी रहती है। इसे ‘रीफ्रैक्टरी क्रोनिक खांसीश् कहा जाता है। जब किसी कारण का पता नहीं चलता तो इसे अस्पष्ट क्रोनिक खांसी के रूप में जाना जाता है। अतीत में अस्पष्ट कारण वाली खांसी का निदान ‘मनोवैज्ञानिकश् या ‘आदतनश् खांसी के रूप में किया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं माना जाता।

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