समाचार सच, दिल्ली (एजेन्सी)। भारत में पांच शीर्ष वैक्सीन निर्माताओं ने सोमवार को वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञों के समूह (National Expert Group) को ब्रीफिंग दी। बताया कि भारत में इस दौरान वैक्सीन पर क्या काम चल रहा है। मौजूदा समय में देश में कोरोना वैक्सीन के तीन कैंडिडेट्स हैं, जिनमें Bharat Biotech की Covaxin और Zydus Cadilla की ZyCoVD दो ऐसी वैक्सीनें हैं, जो देश में ही बन रही हैं।
वहीं, Serum Institute of India ने ब्रिटिश स्वीडिश कंपनी AstraZeneca के साथ University of Oxford की वैक्सीन के निर्माण को लेकर साझेदारी की है। इन तीन कंपनियों के अलावा Biological E और Gennova Biopharmaceuticals के प्रतिनिधियों ने भी मीटिंग के दौरान प्रेजेंटेशन दी। पैनल ने इस बात पर भी चर्चा की कि अगर कैंडिंडेट्स की वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी पाई जाती हैं, तब क्या उन्हें दवा का उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या सरकार की मदद की जरूरत पड़ेगी या नहीं?
बता दें कि दुनिया भर में इस वक्त 170 से अधिक रिसर्चर्स की टीमें कोरोना की सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन खोजने में जुटी हैं। इनमें से 138 प्री-क्लीनिकल स्टेज में हैं। यानी इनका इंसानों पर ट्रायल नहीं हुआ है। फेज-1 में 25 वैक्सीनें हैं, जिनका छोटे स्तर पर सेफ्टी ट्रायल हो चुका है। वहीं, फेज-2 में 15 वैंक्सीन हैं, जिनका विस्तारित सेफ्टी ट्रायल चल रहा है। फेज-3 की बात करें, तो इसमें सात टीके हैं, जबकि एक भी वैक्सीन ऐसी नहीं है, जिसे मंजूरी मिली हो।
वैसे, आमतौर पर किसी भी वैक्सीन को बनाने में 12 से 18 महीने का वक्त लगता है, जिसमें उसकी टेस्टिंग और प्रोडक्शन का काम शामिल रहता है। कोरोना वैक्सीन के भविष्य में होने वाले NHS ट्रायल के लिए एक लाख से अधिक लोगों ने साइन अप किया है। हालांकि, रिसर्चर्स का कहना है कि इससे अधिक वॉलंटियर्स की जरूरत पड़ेगी। वे चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग इसके लिए खुद को एनरोल कराएं, ताकि सुरक्षित और प्रभावित वैक्सीन की दिशा में काम तेजी से बढ़ सके।
साभार-जनसत्ता
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