Magh Purnima: Why Ganga bath is necessary, must chant this mantra
समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। माघ पूर्णिमा का स्नान इस साल 5 फरवरी (रविवार) को होगाण् प्रयागराज के अलावा वाराणसी, अयोध्या, हरिद्वार समेत अन्य धार्मिक शहरों में इस दिन गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी होती है। माघ का महीना ही स्नानए दान, पुण्य और जप तप का होता है। संगम नगरी प्रयाजराज में इस पूरे माह में कल्पवास का विशेष महत्व होता है।
काशी के ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि जो भी श्रद्धालु पूरे माघ मास के दौरान स्नान, दान और जप-तप नहीं कर पाते वो इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान से पूरे एक माह के स्नान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। यही वजह है कि इस दिन वाराणसी सहित सभी धार्मिक नगरी में गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के लिए लोगों की भीड़ लगी होती है। बात वाराणसी के गंगा घाट की करें तो इस दिन 84 घाट गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं से भरा होता हैं।
सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है चंद्रमा
शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्रमा भी अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करता है। ऐसे में स्नान के बाद जरूरतमंदों या पुरोहितों को दान करने से अनन्त पुण्य की प्रप्ति होती है और मनुष्य के सभी कष्ठ दूर होते हैं और भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते है। क्योकि माघ का ये पवित्र महीना भगवान विष्णु को भी बेहद प्रिय होता है।
इस मंत्र का करिए जप
स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि इस दिन गंगा स्नान और दान के बाद घर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से सुख, सौभाग्य और धन की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा स्नान के समय ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप भी करना चाहिए।
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