Navratri 2023: Worship Maa Shailputri on the first day of Chaitra Navratri, wealth and fame will be attained, know the mantra,
समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। आज 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि का आगाज हुआ है। आज पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है। सुबह 06 बजकर 23 मिनट से सुबह 07 बजकर 32 मिनट के बीच कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा होगी। माता पार्वती को शैलपुत्री कहा जाता है क्योंकि उनके पिता पर्वतराज हिमालय हैं। गौरवर्ण वाली मां शैलपुत्री बैल पर सवार होती हैं। वे एक हाथ त्रिशूल तो दूसरे में कमल का फूल धारण करती हैं। चंद्रमा उनके मस्तक की शोभा बढ़ाता है।
मां शैलपुत्री की पूजा करने से मनचाहे जीवनसाथी की कामना पूर्ण हो सकती है, धन, धान्य और यश प्राप्त होता है। मां शैलपुत्री मोक्ष भी प्रदान करती हैं। तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं मां शैलपुत्री की पूजा विधि और मंत्र के बारे में।
चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त 2023
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि की शुरुआत: 21 मार्च, मंगलवार, रात 10ः52 पीएम से
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि की समाप्ति: आज, बुधवार, रात 08ः20 पीएम पर
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: आज, सुबह 06ः23 बजे से सुबह 07ः32 बजे तक
शुक्ल योग: आज, प्रातःकाल से सुबह 09ः18 बजे तक
ब्रह्म योग: आज, सुबह 09ः18 बजे से कल सुबह 06ः16 बजे तक
मां शैलपुत्री पूजा मंत्र
ओम देवी शैलपुत्र्यै नमः
मां शैलपुत्री प्रार्थना मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्
मां शैलपुत्री बीज मंत्र
हृीं शिवायै नमः
मां शैलपुत्री की पूजा विधि
कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करें। उनको अक्षत, धूप, दीप, फूल, फल, मिठाई, नैवेद्य आदि अर्पित करें। मनोकामना पूर्ति के लिए मां शैलपुत्री को कनेर पुष्प चढ़ाएं और उनको गाय के घी का भोग लगाएं। पूजा के दौरान मां शैलपुत्री के मंत्रों का उच्चारण करें. यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा का दोष है या चंद्रमा कमजोर है तो आप मां शैलपुत्री की पूजा करें, आपको लाभ होगा। माता सती के आत्मदाह के बाद मां शैलपुत्री का जन्म हुआ था। कठोर तपस्या के बाद उनका विवाह भगवान शिव से हुआ।
नवरात्रि 2023: नवरात्रि के दूसरे ब्रह्मचारिणी माता की पूजा आज, जानें पूजा विधि, मंत्र, आरती और भोग
समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। चैत्र नवरात्र का दूसरा दिन यानी आज है। इस दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराज्ञ्य की देवी माना जाता है। मां दुर्गा के इस स्वरूप में उनके एक हाथ में जप की माता और दूसरे हाथ में कमण्डल है। मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करने से संयम, तप, त्याग, ज्ञान इत्यादि की वृद्धि होती है। साथ ही मां दुर्गा की कृपा से जीवन की कठिन परिस्थतियां भी आसान हो जाती हैं। आइए जानते हैं इस नवरात्रि दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र, आरती और भोग।
मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी माता की पूजा के दौरान पीले या सफेग रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। मां दुर्गा को सबसे पहले पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद अक्षत, रोली, चंदन, लौंग, इलायची, मिश्री इत्यादि अर्पित करें। मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप को कमल और अड़हूल का फूल बेहद प्रिय होता है। ऐसे में अगर संभव हो तो ये फूल माता को जरूर अर्पित करें। इस दिन माता को सफेद रंग की वस्तुएं अर्पित करें. पूजन के दौरान माता के सामने घी का दीया जलाएं। पूजा के अंत में मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें।
मां ब्रह्मचारिणी को लगाएं इन चीजों का भोग
मां ब्रह्मचारिणी का पसंदीदा भोग चीनी और मिश्री है, इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग जरूर लगाएं इसके अलावा मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्यंजन अति प्रिय होते हैं। ऐसे में आप उन्हें दूध से बने व्यंजनों का भोग लगा सकते हैं। मान्यता है इन चीजों का भोग लगाने से मां ब्रह्मचारिणी प्रसन्न होती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र
- या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः - दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा
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