समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। श्राद्ध एक प्राचीन हिंदू परंपरा है। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना के साथ ही श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान और दान करते हैं। इस दौरान कई लोग अपने पितरों की आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए तीर्थ स्थलों पर श्राद्ध करने जाते हैं। काशी, हरिद्वार, ऋषिकेष, प्रयागराज, गया आदि उन पवित्र स्थलों में से एक हैं जहां श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। हालांकि जो लोग किसी तीर्थ स्थल पर नहीं जा पाते उन्हें घर पर ही पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। आज हम आपको इसी बारे में जानकारी देने वाले हैं कि, कैसे आप घर पर श्राद्ध कर्म कर सकते हैं।
घर पर ऐसे करें श्राद्ध
पितरों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध करने से पहले आपको यह ज्ञात होना चाहिए कि, पितरों की पुण्य तिथि कब है। पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि जानकर ही आप पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं। वहीं जिन पूर्वजों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है उनका श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या के दिन किया जाता है।
घर में पितरों के निमित्त श्राद्ध करने के लिए आपको सबसे पहले सुबह उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद पितरों के लिए आपको उनकी पसंद का भोजन बनाना चाहिए और यह भोजन पंच जीवों (गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देवगणों) के लिए निकालना चाहिए। इसके बाद आपको पितरों की पूजा करनी चाहिए। पूजा करने के लिए आपको सबसे पहले पितरों की तस्वरी के सामने धूप-दीपक जलाना चाहिए, उनका ध्यान करते हुए गाय का दूध, घी, खीर, चावल, मूंग दाल, उड़द, सफेद फूल पितरों को अर्पित करने चाहिए। इसके बाद यथासंभव दान और ब्राह्मणों को भोजन आप करवा सकते हैं। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने और दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
पितरों की पूजा के दौरान आपने जो भोजन पांच जीवों के लिए निकाला है, उसे पूजा खत्म होने के बाद इन जीवों को खिलाना चाहिए। इसके साथ ही पितरों से अपनी सुख-समृद्धि की कामना आपको करनी चाहिए। इस सरल विधि से अगर आप अपने घर पर पितरों का श्राद्ध करते हैं तो आपके जीवन की कई परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही पितृ दोष से भी आपको मुक्ति मिलती है।
साल 2024 में कब से शुरू हैं श्राद्ध
इस साल 17 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत होगी। सबसे पहले 17 तारीख को पूर्णिमा का श्राद्ध रखा जाएगा, इस दिन ऋषियों के नाम से तर्पण करने का विधान है। 18 सितंबर को प्रतिपदा का श्राद्ध रखा जाएगा। पितृ पक्ष का समापन 2 अक्तूबर 2024 के दिन सर्व पितृ अमावस्या के साथ होगा।
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