पितृ पक्ष अमावस्या 2024: सर्वपितृ अमावस्या पर लगेगा सूर्य ग्रहण, जानें कब करें श्राद्ध, तर्पण

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। 02 अक्टूबर 2024 बुधवार को सर्वपितृ अमावस्या के दिन 21वीं सदी का सबसे लंबा वलयकार सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। इसी दिन सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध रखा जाएगा। कई लोगों के मन में सवाल होगा कि सूर्य ग्रहण के दौरान श्राद्ध करना चाहिए या नहीं। यदि करना है तो कब करना चाहिए? आओ जानते हैं इस संबंध में संपूर्ण जानकारी।

2 अक्टूबर 2024 बुधवार को 21वीं सदी का सबसे बड़ा वलयकार सूर्य ग्रहण

  • सूर्य ग्रहण के दौरान श्राद्ध कर्म कर सकते हैं क्योंकि यह भारत में नहीं नजर आएगा
  • भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।

सूर्य ग्रहण का समय कब रहेगा?
2 अक्टूबर 2024 बुधवार को वलयकार सूर्य ग्रहण रहेगा। भारतीय समयानुसार रात 9 बजकर 13 मिनट पर सूर्य ग्रहण की शुरुआत होगी और आधी रात 3 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा।

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सूर्य ग्रहण में श्राद्ध करना चाहिए या नहीं?
2 अक्टूबर 2024 को 21वीं सदी का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण होने जा रहा है। हालांकि ये सूर्यग्रहण भी भारत में नजर नहीं आएगा। श्राद्ध पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण का होना बहुत दुर्लभ घटना है। यह सूर्य ग्रहण भारत के किसी भी स्थान पर नजर नहीं आएगा। भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। इसलिए श्राद्ध कर्म किया जा सकता है।

सूर्य ग्रहण के दौरान कब करें श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान?
सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण, पिंडदान, भोग और पंचबलि कर्म का समय-
कुतुप मूहूर्त- 2 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12.04 से 12.51 के बीच।
रोहिणी मूहूर्त- 2 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12.51 से 01.39 के बीच।
अपराह्न काल- 2 अक्टूबर 2024 को अपराह्न 01रू39 से 04.02 के बीच।

कहां दिखाई देगा:

भारत में नहीं दिखाई देगा। 2 और 3 अक्टूबर की दरम्यानी रात लगने वाले वलयाकार सूर्यग्रहण के नजारे से भी देश के खगोलप्रेमी वंचित रहेंगे। पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल में भी नहीं दिखाई देगा। यह ग्रहण अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका और अटलांटिक महासागर, आइलैंड, ब्राजील, पेरू, चिली, अंटार्कटिका, अर्जेंटीना, मैक्सिको, न्यूजीलैंज, फिजी और आर्कटिक समेत कई देशों में नजर आएगा।

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क्या होता है वलयकार सूर्य ग्रहण रू सूर्यग्रहण की खगोलीय घटना कुल 7 मिनट 21 सेकंड चलेगी और इसकी चरमावस्था पर सूर्य का 93 प्रतिशत फीसद हिस्सा ढक जाएगा जिससे सौरमंडल का मुखिया पृथ्वीवासियों को चमकदार कंगन की तरह दिखाई देगा। इसे कंगन या कंकणाकृति सूर्य ग्रहण भी कहते हैं। सूर्य ग्रहण में जब चंद्रमा पृथ्वी से बहुत दूर होता है और इस दौरान पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। ऐसे में सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। कंगन आकार में बने सूर्य ग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।

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