काव्य : वहशी दरिंदों का संहार हो गया

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अगर जो हो सके मुमकिन तो आकर देख ले बिटिया,
जो आँखें थीं उठी तुझ पर वे आँखें हो गयीं बाहर !!
गुनहगारों को हुई फांसी।

देर से ही सही पर एक उम्मीद तो जागी।
देश का कानून बदल रहा है मतलब लोग भी बदलेंगे और कन्या पूजन वाले इस देश में केवल पुरुष नहीं बल्कि देवता समान पुरुष भारत देश में नारियों के लिए वरदान के रूप में मिलेंगे।
इसलिए एक खुशी के साथ-साथ एक निवेदन भी आज करना चाह रही हूं आप सब से भारत देशवासियों से,
देश के कानून से उन लोगों से जो भारत की नारी में दुर्गा तो देखना चाहते हैं पर खुद को उन्हें देवता बनाने की जरूरत है यह बात वह भूल बैठे हैं

तब कहना चाहती हूं कविता के माध्यम से अपनी एक बात

एक एक साल की अबोध बच्चियां
जिनको नहीं कोई प्रबोध बच्चियां
लाड प्यार की है जो कि शोध बच्चियां
फूल हैं नहीं है अवरोध बच्चियां
करना ना जानती विरोध बच्चियां
ले सकेंगी कैसे प्रतिशोध बच्चियां
उनकी सुरक्षा का विधान चाहिए
हमें नारियों का सम्मान चाहिए
देवताओं वाला हिंदुस्तान चाहिए

यह गीता और गायत्री का देश है
यह सीता और सावित्री का देश है
नारियों की कुर्बानियों का देश है
मानियो का स्वाभिमानियो का का देश है
जौहर रचाती रानियों का देश है
झाँसी वाली मर्दानियों का देश है
ऐसे देश में न शैतान चाहिए
हमें नारियों का सम्मान चाहिए
देवताओं वाला हिंदुस्तान चाहिए

स्वर्ग से धरा पे तुम ना आओ निर्भया
ये धरा नहीं है जाओ जाओ निर्भया
पूँछो इस देश को जगाओ निर्भया
और कितनी चाहिए बताओ निर्भया
दिल्ली कह रही है कि पढ़ाओ बेटियां
गौरी कह रही है कि बचाओ बेटियां
हद हो गयी है अब निदान चाहिए
हमे नारियों का सम्मान चाहिए देवताओं वाला हिंदुस्तान चाहिए

वहशी दरिंदों का संघार हो गया
मेरे देश में ये पहली बार हो गया
जो कि थे शिकारी वो शिकार हो गए
कुत्ते अब दुनिया के पार हो गए
फांसी देके किया है जो हाल उनका
खुद के कुकर्माे से ये हाल है उनका
होना अब कानून का सम्मान चाहिए
देवताओं वाला हिंदुस्तान चाहिए

-गौरी मिश्रा (अन्तर्राष्ट्रीय कवियत्री)
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