समाचार सच, देहरादून। उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनावों की तैयारियां तेज कर दी हैं। संभावना है कि प्रदेश में 25 दिसंबर से पहले निकाय चुनाव संपन्न हो जाएंगे। इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने चुनाव खर्च की सीमा तय करते हुए आदेश जारी कर दिए हैं। साथ ही नामांकन पत्र और जमानत राशि भी निर्धारित कर दी गई है।
नगर प्रमुख के लिए अधिकतम खर्च सीमा 30 लाख रुपए
आदेश के अनुसार, नगर प्रमुख पद पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की खर्च सीमा नगर निगम के वार्डों की संख्या के आधार पर तय की गई है।
40 वार्डों तकः 20 लाख रुपए
41 से 60 वार्डों तकः 25 लाख रुपए
61 या उससे अधिक वार्डों के लिएः 30 लाख रुपए
नामांकन शुल्क और जमानत राशि
प्रत्याशियों के लिए नामांकन शुल्क और जमानत राशि श्रेणी के अनुसार अलग-अलग तय की गई हैः
नगर प्रमुख (नगर निगम):
सामान्य श्रेणीः नामांकन शुल्क रुपए 800, जमानत राशि रुपए 2,000
एससी/एसटी/ओबीसी/महिलाः नामांकन शुल्क रुपए 400, जमानत राशि रुपए 6,000
उप नगर प्रमुख (नगर निगम):
सामान्य श्रेणीः नामांकन शुल्क रुपए400, जमानत राशि रुपए 5,000
एससी/एसटी/ओबीसी/महिलाः नामांकन शुल्क रुपए 200, जमानत राशि रुपए 2,500
सभासद (नगर निगम):
सामान्य श्रेणीः नामांकन शुल्क रुपए 400, जमानत राशि रुपए 4,000
एससी/एसटी/ओबीसी/महिलाः नामांकन शुल्क रुपए 200, जमानत राशि रुपए 2,000
अध्यक्ष (नगर पालिका परिषद):
सामान्य श्रेणीः नामांकन शुल्क रुपए 500, जमानत राशि रुपए 6,000
एससी/एसटी/ओबीसी/महिलाः नामांकन शुल्क रुपए 250, जमानत राशि रुपए 3,000
सदस्य (नगर पालिका परिषद):
सामान्य श्रेणीः नामांकन शुल्क रुपए 200, जमानत राशि रुपए 1,500
एससी/एसटी/ओबीसी/महिलाः नामांकन शुल्क रुपए 100, जमानत राशि रुपए 750
अध्यक्ष (नगर पंचायत):
सामान्य श्रेणीः नामांकन शुल्क रुपए 200, जमानत राशि रुपए 3,000
एससी/एसटी/ओबीसी/महिलाः नामांकन शुल्क रुपए 100, जमानत राशि रुपए 1,500
सदस्य (नगर पंचायत):
सामान्य श्रेणीः नामांकन शुल्क रुपए 100, जमानत राशि रुपए 600
एससी/एसटी/ओबीसी/महिलाः नामांकन शुल्क रुपए 50, जमानत राशि रुपए 300
राज्य निर्वाचन आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि सभी प्रत्याशियों को तय खर्च सीमा के भीतर ही चुनावी गतिविधियां संचालित करनी होंगी। प्रत्याशियों को अपने चुनावी खर्च का ब्योरा भी समय-समय पर आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।
इधर प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। निर्वाचन आयोग के इस कदम से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और अनुशासन सुनिश्चित होने की उम्मीद है।
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