सार्वजनिक स्थानों पर धरना प्रदर्शन करना किसी भी लिहाज से सही नहीं
समाचार सच, नई दिल्ली। दक्षिण दिल्ली के शाहीन बाग में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर और नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चले विरोध-प्रदर्शन के दौरान सड़क पर अतिक्रमण कर बैठी भीड़ को हटाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है। बुधवार को अपने अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विरोध प्रदर्शन एक सीमा तक हों, अनिश्चितकाल तक नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि धरना-प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक स्थलों को नहीं घेरा जाए। इसी के साथ दिल्ली पुलिस को शाहीन बाग इलाके को खाली कराने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। बता दें कि अब वहां पर धरना-प्रदर्शन खत्म हो चुका है।
बुधवार को शाहीन बाग में प्रदर्शन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने बड़े और फैसले में कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर धरना प्रदर्शन करना किसी भी लिहाज से सही नहीं है। इससे आम जनता के अधिकारों का हनन होता है। कोर्ट ने कहा है कि कोई भी प्रदर्शनकारी समूह या व्यक्ति सिर्फ विरोध प्रदर्शनों के बहाने सार्वजनिक स्थानों पर अवरोध पैदा नहीं कर सकता है और सार्वजनिक स्थल को रोक नहीं सकता है।
गौरतलब है कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ तकरीबन 100 दिनों तक प्रदर्शनकारी शाहीन बाग में मुख्य सड़क पर कब्जा कर धरने पर बैठे थे। इस धरने के खिलाफ वकील अमित साहनी और दिल्ली भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक नंदकिशोर गर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
कोरोना संक्रमण के दौरान शुरू हुए लॉकडाउन शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों की भीड़ को हटा दिया गया था। इसके खिलाफ याचिकाकर्ताओं को उम्मीद है कि कोर्ट भविष्य में सड़क रोक कर प्रदर्शन किए जाने पर लगाम के लिए कुछ निर्देश दे सकता है।
अप्रैल महीने में दक्षिणी दिल्ली के शाहीन बाग में 15 दिसंबर से नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के विरोध में चल रहे प्रदर्शन को सुरक्षा बलों ने हटा दिया ता। इस दौरान पुलिस ने वहां लगे टेंट को भी लेकर हटा दिया गया था। इसके बाद शाहीन बाग इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दी गई था। फिर धीरे-धीरे यहां पर हालात सामान्य हो गए। वहीं, हौजरानी इलाके में बी पुलिस ने शांतिपूर्वक प्रदर्शनकारियों को हटाया, यहां पर न तो किसी को हिरासत में लिया गया और न ही कोई गिरफ्तार ही हुआ था।
दिल्ली के कुल 7 इलाकों में चल रहे प्रदर्शन के चलते लोगों को आवाजाही में खासी दिक्कत आ रही थी। अकेले शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन के कारण रोजाना लाखों लोगों को दिक्कत आ रही थी। यहां तक कि लोगों की दुकानें आदि नहीं खुलने से करोड़ों रुपये का रोजगार तक ठप हो चुका था। नोएडा-गाजियाबाद से फरीदाबाद और गुरुग्राम जाना भी मुश्किल हो गया था। गौरतलब है कि एनआरसी-सीएए के विरोध-समर्थन को विवाद बढ़ने के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में 24-25 फरवरी को हिंसा भी हुई, जिसमें 53 लोगों की जान तक जा चुकी है।
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