शहादत को सलाम, आज ही के दिन 17 मई 1995 को नायक शेखर ने देश की रक्षा के लिये दिया था बलिदान

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समाचार सच, हल्द्वानी। भारतीय सैनिक व अधिकारी हमारे देश की सीमा की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे देते हैं। समाचार सच परिवार ऐसे वीर जवानों की शहादत को सलाम करता है।
समाचार सच पोर्टल हल्द्वानी निवासी अ.प्र. मेजर बी0एस0 रौतेला द्वारा दी गयी जानकारी से पाठकांे को अवगत कराना चाहते है कि ऐसे ही उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़-गंगोलीहाट के एक भारत माँ का सपूत नायक शेखर चन्द्र था। शेखर आज ही के दिन 17 मई 1995 को आपरेशन रक्षक में जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए थे।
मूल रूप से जनपद पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट तहसील के ग्राम दौला चौइमन्या निवासी प्रेमबल्लभ व श्रीमती देवकी देवी के चार बेटों व चार बेटियों में शेखर चन्द्र सबसे छोटे थे, उनका जन्म 27 दिसम्बर 1959 को हुआ था। चन्द्रशेखर के 2 बड़े भाई सेना में भर्ती हो गये थे, जबकि तीसरे को झिरौली, अल्मोड़ा मैगनेसाईट में नौकरी मिली। शेखर चन्द्र ने भी कक्षा 10 पास करते ही भाई के साथ झिरौली आ गये और वहीं अस्थायी रूप से छोटी-मोटी नौकरी में लगे। इसी बीच अल्मोड़ा में सेना की भर्ती हुई तो शेखर चन्द्र भी भर्ती में शामिल हो गये। 10 अपै्रल 1979 को वे भर्ती हो गये और उन्हें तोपरवाना सेन्टर नासिक भेज दिया। प्रशिक्षण पूरा करने पर मीडियम रेजीमेंट में तैनाती दी गई।
1980 में पांखू, थल निवासी गंगा देवी से विवाह सम्पन्न हुआ। 1981 में जब बिन्दुखत्ता में जब बसासत शुरू हुई तो शेखर चन्द्र का भी सारा परिवार पहाड़ छोड़कर बिन्दुखत्ता इंदिरानगर में बस गया।
17 मई 1995 को परिवार पर विपत्ति का पहाड़ सा छूटा नायक शेखर चन्द्र शहीद हो गये। पति की शहादत के बाद श्रीमती गंगा देवी टूट सी गई। उस समय पुत्र 9 वर्ष और पुत्री 7 वर्ष की थी। कुछ समय बाद श्रीमती गंगा देवी ने तो अपने को संभाल लिया लेकिन सबसे अधिक सदमा उनके पुत्र गिरीश को लगा। उनका बेटा पिता की शहादत के बाद मानसिक रूप से परेशान होने के कारण अध्ययन जारी नहीं रख पाया। अब श्रीमती गंगा देवी ने पुत्र व पुत्री दोनों की शादी कर दी है।

शहीद पत्नी की एक इच्छा: गंगा देवी कहती है कि पति की शहादत के बाद जीवन शून्य सा हो गया है। सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधायें मिल रही हैं। पेंशन भी ठीक आ रही है बस एक ही इच्छा है जैसा कि उत्तराखण्ड सरकार ने आश्वासन दिया कि शहीद के एक आश्रित को नौकरी दी जायेगी, इसी की आशा में हैं।

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